Tuesday, 17 October 2017

जाखड़ साहिब बधाई, पर सोनिया जी से बच कर

सुनील जाखड़ के व्यक्तित्व का सकारात्मक पहलू है उनकी लोकप्रियता। 
अपने इसी गुण के चलते उन्हें कांग्रेस अध्यक्षा (वास्तव में मालकिन) श्रीमती 
सोनिया गांधी से सावधान भी रहना होगा। किसी नेता या जनप्रतिनिधि का 
लोकप्रिय होना अन्य दलों में चाहे उसकी गुण गिना जाए परंतु कांग्रेस में यही 
उसका अवगुण भी बन जाता है। सोनिया गांधी पिछले कई सालों से राहुल गांधी 
नामक ऐसे अंकुर को सींच रही हैं जो लाख प्रयासों के बावजूद वृक्ष बनना तो दूर 
पौध बनने को भी तैयार नहीं। इसी नवअंकुर को पूरी धूप और हवा उपलब्ध 
करवाने के लिए वे आसपास के वट वृक्षों को काटती रही हैं। जिस अध्यापक का
खुद का बच्चा फिसड्डी हो और वह स्वभाविक तौर पर प्रतिभाशाली बच्चों से
ईष्र्या करने लगता है। कांग्रेस अध्यक्षा इसी तरह की अध्यापक हैं। सोनिया 
बिलकुल नहीं चाहती कि कोई लोकप्रिय नेता कांग्रेस में इतना लोकप्रिय हो कि 
वह राहुल बाबा पर हावी हो जाए।
चौधरी सुनील कुमार जाखड़ गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव जीत गए, जीते भी क्या धाकड़। लगभग दो लाख मतों का अंतर। बहुत खुशी हुई, केवल इसलिए नहीं कि वे मेरे गृह नगर के निवासी होने केे  नाते चचेरे भाई हैं बल्कि इसलिए भी कि वे एक कुशल वक्ता, प्रखर विद्वान भी हैं। अपने दिवंगत पिता स्वर्गीय चौधरी बलराम जाखड़ की भांति प्रदेश के साथ-साथ देश-विदेश के मुद्दों पर उनकी गरुड़ सी पकड़ है। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष श्री जाखड़ की भांति तर्कसंगत बात करने वाले नेता अंगुलियों पर गिनने जितने ही बचे हैं अन्यथा बाकी सारे तो आम आदमी पार्टी मार्का मेंढक पंचायत के मैंबर लगते हैं।
राष्ट्रीय राजनीति में पंजाब की भूमिका शुरु से ही नगण्य सी रही है। स. प्रकाश सिंह बादल, ज्ञानी जैल सिंह, चौधरी बलराम जाखड़, इंदर कुमार गुजराल जैसे एक आध और नेता कुछ समय के लिए राष्ट्रीय राजनीति में आए तो परंतु बहुत खास नहीं कर पाए। स. बादल प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए जबकि चौधरी बलराम जाखड़ को पहले लोकसभा अध्यक्ष और बाद में गवर्नर बना कर उनको सीमित कर दिया गया। गुजराल साहिब तो यूं भी एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री ही रहे, उनके आए का पता चला न जाने की खबर हुई। ज्ञान जैल सिंह सारी उम्र श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रति कृतज्ञ रहे, कहने का भाव कि राष्ट्रीय राजनीति में पंजाब के नेताओं का लगभग अभाव ही रहा है।
वर्तमान में भी केंद्र में चाहे हरसिमरत कौर बादल कैबिनेट मंत्री, विजय सांपला राज्य मंत्री व 10 अन्य सांसद हैं परंतु किसी में भी राष्ट्रीय दृष्टिकोण व ऐसी नेतृत्व क्षमता नहीं दिखाई देती जो अपेक्षित है। हरसिमरत बादल की योग्यता बादल खानदान की बहु होना है। विजय सांपला इतने अस्तित्वहीन हैं कि उन्हें साढ़े तीन साल बाद भी विश्वास नहीं हो रहा कि वे केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद राजनीति के लिए कम और अपनी हरकतों के कारण अधिक राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में रहे। संसद में भी हमारे सभी सांसद प्रदेश की ही राजनीति करते हैं और पंथ, किसान, दरियाई पानी, चंडीगढ़ जैसे मुद्दों से आगे सोच ही नहीं पाते। राष्ट्रीय सोच वाला और देश के मुद्दों पर पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई सांसद गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव के परिणाम घोषित होने से पहले दिखाई नहीं दे रहा था। कभी किसी ने नहीं देखा कि पंजाब का कोई सांसद लोकसभा या राज्यसभा में राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा में शामिल हुआ हो। यही कारण भी रहा है कि हरित क्रांति की भूमि पंजाब में राष्ट्रीय नेताओं का अकाल ही रहा है। लेकिन श्री जाखड़ पंजाब की इस कमी को पूरा कर सकते हैं और उनमें इसकी योग्यता भी है। श्री जाखड़ आस बंधाते हैं कि वे अपनी योग्यता से राष्ट्रीय राजनीति में पंजाब के योगदान के अकाल को समाप्त करेंगे।
सुनील जाखड़ के व्यक्तित्व का सकारात्मक पहलू है उनकी लोकप्रियता। अपने इसी गुण के चलते उन्हें कांग्रेस अध्यक्षा (वास्तव में मालकिन) श्रीमती सोनिया गांधी से सावधान भी रहना होगा। किसी नेता या जनप्रतिनिधि का लोकप्रिय होना अन्य दलों में चाहे उसकी गुण गिना जाए परंतु कांग्रेस में यही उसका अवगुण भी बन जाता है। सोनिया गांधी पिछले कई सालों से राहुल गांधी नामक ऐसे अंकुर को सींच रही हैं जो लाख प्रयासों के बावजूद वृक्ष बनना तो दूर पौध बनने को भी तैयार नहीं। इसी नवअंकुर को पूरी धूप और हवा उपलब्ध करवाने के लिए वे आसपास के वट वृक्षों को काटती रही हैं। जिस अध्यापक का खुद का बच्चा फिसड्डी हो और वह स्वभाविक तौर पर प्रतिभाशाली बच्चों से ईष्र्या करने लगता है। कांग्रेस अध्यक्षा इसी तरह की अध्यापक हैं। सोनिया बिलकुल नहीं चाहती कि कोई लोकप्रिय नेता कांग्रेस में इतना लोकप्रिय हो कि वह राहुल बाबा पर हावी हो जाए। विश्वास न हो तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का ही उदाहरण लें। खुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मान चुके हैं कि प्रणव दा उनसे अधिक योग्य थे परंतु सोनिया गांधी ने उन्हें इस पद के लिए चुना। राजनीति में साधारण रुचि लेने वाला भी मानता है कि सोनिया ने यह सब अपने लाडले के लिए किया ताकि उसकी राजनीतिक सोच परिपक्व होते ही लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा लहराने का अधिकार आसानी से उसे सौंप दिया जाए। प्रणव दा जैसे योग्य नेता के प्रधानमंत्री होते यह संभव नहीं हो पाता और मनमोहन तो 'मौनमोहन' थे ही। यह बात अलग रही कि राहुल अभी राहुल बाबा ही बने रहे और मनमोहन सिंह को दो टर्म पूरी करने का अवसर मिल गया।
प्रणव दा ही क्यों शरद पवार, पीए संगमा जैसे लोकप्रिय क्षत्रपों के लिए भी कांग्रेस में इस तरह घुटनभरा महौल पैदा कर दिया कि उन्हें पार्टी छोडऩी पड़ी। आज भी ज्योर्तिदित्य सिंधिया जैसे कई युवा कांग्रेसी हैं जो राहुल गांधी से अधिक योग्य नेता व प्रखर वक्ता हैं परंतु उन्हें कभी आगे आने का अवसर नहीं मिलता। कांग्रेस की नजरों में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की लोकप्रियता भी खटकती रही है यह किसी से छिपा नहीं। कैप्टन की इसी लोकप्रियता से भयभीत सोनिया गांधी प्रताप सिंह बाजवा को प्रोत्साहन देती रही है। सभी जानते हैं कि कैप्टन को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपने के लिए उन्हें किस तरह शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा और मजबूरन सोनिया गांधी को कैप्टन के आगे हथियार डालने पड़े। कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी तो सभी को याद होंगे, सोनिया विरोध के चलते बेचारे उस गरीब आदमी की पार्थिव देह को कांग्रेस भवन में नहीं प्रवेश करने दिया गया था। जब तक राहुल गांधी की प्लेसमेंट नहीं होती तब तक सोनिया जी शायद ही किसी लोकप्रिय कांग्रेसी नेता को बर्दाश्त करे चाहे इसके लिए पार्टी कितनी भी रसातल में धस जाए। राहुल की निकट भविष्य में दाल गलती खुद सोनिया जी को भी नजर नहीं आरही होगी। जाखड़ साहिब के लिए नई जिम्मेवारी दोधारी तलवार पर चलने जैसी होगी इसमें कोई दो राय नहीं।
- राकेश सैन
32-खण्डाला फार्मिंग कालोनी
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 97797-14324

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