Monday, 16 September 2019

मोदी, लोकतंत्र के गौरमयी हस्ताक्षर



श्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जो उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत थी। आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री, श्री मोदी ने पहले 2014 से 2019 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। उन्होंने अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद संभाला है। 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में श्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने दोनों अवसरों पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। आखिरी बार 1984 के चुनावों में किसी राजनीतिक दल ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विकास’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर, श्री मोदी ने शासन व्यवस्था में एक ऐसे बदलाव की शुरुआत की और समावेशी, विकासोन्मुख और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री ने अंत्योदय के उद्देश्य को साकार करने और समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को सरकार की योजनाओं और पहल का लाभ मिले यह सुनिश्चित करने के लिए स्पीड और स्केल पर काम किया है। 
विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस बात को माना कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है। इसका श्रेय केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए लिए गए विभिन्न फैसलों को जाता है। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम आयुष्मान भारत का नेतृत्व कर रहा है। 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करते हुए आयुष्मान भारत गरीब और नव-मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रहा है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक लांसेट ने आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े असंतोष को दूर कर रही है। पत्रिका ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता देने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों की भी सराहना की। देश की वित्तीय धारा से दूर गरीबों को वित्तीय धारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय का बैंक खाते खोलना था। अब तक 35 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने न केवल गरीबों को बैंक से जोड़ा, बल्कि सशक्तीकरण के अन्य रास्ते भी खोले हैं। जन-धन से एक कदम आगे बढ़ते हुए श्री मोदी ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बीमा और पेंशन कवर देकर जन सुरक्षा पर जोर दिया। ट्रिनिटी (जन धन- आधार- मोबाइल) ने बिचौलियों को समाप्त कर दिया है और प्रौद्योगिकी के माध्यम से पारदर्शिता और गति सुनिश्चित की है। असंगठित क्षेत्र से जुड़े 42 करोड़ से अधिक लोगों के पास अब प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना के तहत पेंशन कवरेज मिली है। 2019 के चुनाव परिणामों के बाद पहली कैबिनेट बैठक के दौरान व्यापारियों के लिए समान पेंशन योजना की घोषणा की गई है। 2016 में गरीबों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी। यह योजना 7 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को धुआं मुक्त रसोई प्रदान करने में एक बड़ा कदम साबित हुई है। इसकी अधिकांश लाभार्थी महिलाएं हैं। आजादी के बाद से 70 वर्षों के बाद भी 18,000 गाँव बिना जहां बिजली नहीं थी वहां बिजली पहुंचाई गई है। श्री मोदी का मानना है कि कोई भी भारतीय बेघर नहीं होना चाहिए और इस विजन को साकार करने के लिए 2014 से 2019 के बीच 1.25 करोड़ से अधिक घर बनाए गए है। 2022 तक प्रधानमंत्री के ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के सपने को पूरा करने के लिए घर के निर्माण की गति में तेजी आई है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो श्री नरेंद्र मोदी के बहुत करीब है। 2019 के अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में एक मौद्रिक प्रोत्साहन योजना की घोषणा की। 24 फरवरी 2019 को योजना के शुरू होने के बाद लगभग 3 सप्ताह में नियमित रूप से किश्तों का भुगतान किया गया है। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान इस योजना में 5 एकड़ की सीमा को हटाते हुए सभी किसानों को पीएम किसान का लाभ देने का फैसला किया गया। इसके साथ ही भारत सरकार प्रति वर्ष लगभग 87,000 करोड़ रुपये किसान कल्याण के लिए समर्पित करेगी। श्री मोदी ने सॉयल हेल्थ कार्ड, बेहतर बाजारों के लिए ई-नाम और सिंचाई पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने जैसी किसान कल्याण की दिशा में विभिन्न पहल शुरू की। 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री ने जल संसाधनों से संबंधित सभी पहलुओं की देखरेख करने के लिए एक नया जल शक्ति मंत्रालय बनाकर एक बड़ा वादा पूरा किया।2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ शुरू किया। इस जन आंदोलन का बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक प्रभाव पड़ा है। 2014 में स्वच्छता कवरेज 38त्न थी जो आज बढक़र 99त्न हो गई है। कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। स्वच्छ गंगा के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वच्छ भारत मिशन की सराहना की और कहा कि इससे 3 लाख लोगों की जान बच सकती है। श्री मोदी का मानना है कि परिवहन परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन है। इसीलिए भारत सरकार हाई-वे, रेलवे, आई-वे और वॉटर-वे के रूप में अगली पीढ़ी के बुनियादी ढाँचे को बनाने के लिए काम कर रही है। उड़े देश के आप नागरिक योजना ने उड्डयन क्षेत्र को लोगों के अधिक अनुकूल बनाया है और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है। पीएम मोदी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण पॉवर हाऊस में बदलने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की। इस प्रयास से परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए हैं। उदाहरण के लिए 2014 में मोबाइल विनिर्माण इकाइयों की संख्या 2 थी जो 2019 में बढक़र 122 हो गई है। भारत ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में महत्वपूर्ण प्रगति की है, 2014 में भारत की रैंकिंग 142 थी 2019 में यह 77 हो गई है। 2017 में संसद के एक ऐतिहासिक सत्र के दौरान भारत सरकार ने जीएसटी लागू किया, जिसने ‘वन नेशन, वन टैक्स’ के सपने को साकार किया। उनके कार्यकाल में भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाया गया जो सरदार पटेल को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। इस स्टैच्यू को एक विशेष जन आंदोलन के माध्यम से बनाया गया था, जिसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों के औज़ार और मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाता है। प्रधानमंत्री को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों से गहरा लगाव है। उन्हेंने हमेशा से पाना है कि हमें एक साफ और हरा ग्रह बनाने के लिए काम करना चाहिए। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में श्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन के अभिनव समाधान तैयार करने के लिए अलग जलवायु परिवर्तन विभाग बनाया। इस भावना को पेरिस में 2015 के शिखर सम्मेलन में भी देखा गया था जहां पीएम मोदी ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जलवायु परिवर्तन से एक कदम आगे बढक़र पीएम मोदी ने जलवायु न्याय के बारे में बात की है। 2018 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के शुभारंभ के लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए थे। यह गठबंधन एक बेहतर ग्रह के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का एक अभिनव प्रयास है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके प्रयासों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र के ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।जलवायु परिवर्तन ने हमारे ग्रह को प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त कर दिया है, इस तथ्य के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील होते हुए श्री मोदी ने प्रौद्योगिकी की शक्ति और मानव संसाधनों की ताकत के उचित इस्तेमाल के रूप में आपदा के लिए एक नया विजन साझा किया है । मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 26 जनवरी 2001 को विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए गुजरात को बदल दिया। इसी तरह उन्होंने गुजरात में बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए नई प्रणालियों की शुरुआत की जिनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई। प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से श्री मोदी ने नागरिकों के लिए न्याय को हमेशा प्राथमिकता दी है। गुजरात में लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने शाम की अदालतों की शुरुआत की। केंद्र में उन्होंने प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन शुरू किया जो विकास में देरी कर रहे लंबित परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए एक कदम है।श्री मोदी की विदेश नीति की पहल ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता और भूमिका को महसूस किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के सभी प्रमुखों की उपस्थिति में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया और दूसरे की शुरुआत में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन की दुनिया भर में सराहना हुई। प्रधानमंत्री को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’ से सम्मानित किया गया। श्री मोदी को रूस के शीर्ष सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टले सम्मान’, फिलिस्तीन के ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ सम्मान, अफगानिस्तान के ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’, यूएई के ‘जायेद मेडल’ और मालदीव के ‘निशान इज्जुद्दीन’ सम्मान से सम्मानित किया गया है। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को शांति और विकास में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित सियोल शांति पुरस्कार दिया गया। ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने के नरेंद्र मोदी के आग्रह को संयुक्त राष्ट्र में अच्छी प्रतिक्रिया मिली। पहले दुनिया भर में कुल 177 राष्ट्रों ने एक साथ मिलकर 21 जून को संयुक्त राष्ट्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया।श्री मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के एक छोटे से शहर में हुआ था। वे ‘अति पिछड़ा वर्ग’ परिवार से आते हैं, जो समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों में से है। वह बेहद गरीब, लेकिन प्यार देने वाले परिवार में पले बड़े। जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने न केवल कड़ी मेहनत के मूल्य को सिखाया बल्कि उन्हें आम लोगों के कष्टों से भी अवगत कराया। आम जन की गरीबी ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही लोगों और राष्ट्र की सेवा में डूबने के लिए प्रेरित किया। अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ काम किया, जो राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक राष्ट्रवादी संगठन है और बाद में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के संगठन में काम करने के लिए खुद को राजनीति में समर्पित किया। श्री मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए पूरा किया है।नरेंद्र मोदी लोगों के नेता हैं और वे आमजन की समस्याओं को हल करने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए समर्पित हैं। लोगों के बीच रहने, उनके साथ खुशियाँ साझा करने और उनके दुखों को दूर करने से ज्यादा कुछ भी उनके लिए संतोषजनक नहीं है। जमीनी स्तर पर तो उनका लोगों के साथ एक मजबूत व्यक्तिगत जुड़ाव तो है ही साथ ही साथ सोशल मीडिया पर भी उनकी मजबूत उपस्थिति है। उन्हें भारत के सबसे ज्या टेक्नो सैवी नेता के रूप में भी जाना जाता है। वो लोगों तक पहुँचने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, साउंड क्लाउड, लिंक्डिन, वीबो और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बहुत सक्रिय है।राजनीति से परे नरेंद्र मोदी को लिखना पसंद है। उन्होंने कई कविता और कई किताबें लिखी हैं। वह अपने दिन की शुरुआत योग से करते हैं। योग उसके शरीर और दिमाग को मजबूत बनाता है और तेज गति चलने वाली दिनचर्या में शांति का भाव पैदा करता है।


- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ लिदड़ां,
जालंधर।
मो. 70098-05778

Sunday, 1 September 2019

हिंदू समाज के नवजागरण का पर्व गणेशोत्सव

गणेश उत्सव केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि हिंदू समाज के नवजागरण का प्रतीक व स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक तत्व रहा है। हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों व शासकों ने इस पर्व का सदुपयोग समाज जागरण व विभिन्न हिस्सों में विभाजित समाज को एकजुट करने के लिए किया। गणेश चतुर्थी 1630-1680 के दौरान मराठा शक्ति के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय, यह गणेशोत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाना शुरू किया गया था। पेशवाओं के अंत के बाद, यह एक पारिवारिक उत्सव बना रहा, यह 1893 में महान स्वतंत्रता सेनानी व विचारक बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा पुनर्जीवित किया गया। गणेश चतुर्थी एक बड़ी तैयारी के साथ एक वार्षिक घरेलू त्योहार के रूप में हिंदू लोगों द्वारा मनाना शुरू किया गया। सामान्यत: यह ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच संघर्ष को हटाने के साथ ही लोगों के बीच एकता लाने के लिए एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना आरंभ किया गया था। महाराष्ट्र में लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान बहुत साहस और राष्ट्रवादी उत्साह के साथ अंग्रेजों के क्रूर व्यवहार से मुक्त होने के लिए मनाना शुरु किया। गणेश विसर्जन की रस्म बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा स्थापित की गई। धीरे-धीरे लोगों द्वारा यह उत्सव परिवार के समारोह के बजाय समुदाय की भागीदारी के माध्यम से मनाना शुरू किया गया।

पौराणिक महत्त्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि गणेश जी का जन्म माघ माह में चतुर्थी हुआ था। तब से, भगवान गणेश के जन्म की तारीख गणेश चतुर्थी के रूप में मनानी शुरू की गई। आजकल, यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर लंबे समय बाद इस साल कई शुभ संयोग बनेंगे। एक ओर जहां ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बनेगा, वहीं सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। यानि सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ विद्यमान रहेंगे। ग्रहों और सितारों की इस शुभ स्थिति के कारण इस त्योहार का महत्व और शुभता और बड़ जाएगी। ग्रह-नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में गणेश प्रतिमा की स्थापना करने से सुख-समृद्धि और शांति मिलेगी। दो सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ ही दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन, लंबे समय बाद इस बार गणेश चतुर्थी पर दो शुभ योग और ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। जिसकी वजह से गणेश चतुर्थी का महत्व बढ़ गया है। 2 सितंबर दिन सोमवार की शुरुआत हस्तनक्षत्र में होगी और गणेश प्रतिमाओं की स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी। मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। चित्रा नक्षत्र और चतुर्थी तिथि का संयोग 2 सितंबर को सुबह लगभग 8 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहने वाला है।

गणेश चतुर्थी पूजन
भाद्रपद्र शुक्ल की चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी कि विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है, गणेश जी की इस मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाकर षोड्शोपचार से पूजन किया जाता है तथा लडडुओं का भोग लगाया जाता है.संध्या समय पूजन करके चंद्रमा देखे बिना अघ्र्य देना चाहिए।

प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त 
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघडिय़ा मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं।

कलंक चौथ
गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी या कलंक चौथ भी कहा जाता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है। इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना मना होता है। द्वारिकापुरी में सत्राजित नाम का एक सूर्यभक्त निवास करता था उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उसे एक अमूल्य मणि प्रदान की। मणि के प्रभाव स्वरुप किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है और राज्य आपदाओं से मुक्त हो जाता है। एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने राजा उग्रसेन को उक्त मणि प्रदान करने की बात सोची परंतु सत्राजित इस बात को जान जाता है। इस कारण वह मणि अपने भाई प्रसेन को दे देता है। परंतु जब प्रसेन वन में शिकार के लिए जाता है तो वहां सिंह के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होता है। सिंह के मुंह में मणि देख कर जांबवंत शेर को मारकर वह मणि पा लेता है। प्रजा को जब जांबवंत के पास उस मणि होने की बात का पता चलता है तो वह इसके लिए कृष्ण को प्रसेन को मारकर मणि लेने की बात करने लगते हैं। इस आरोप का पता जब श्रीकृष्ण को लगता है तो वह बहुत दुखी होते हैं और प्रसेन को ढूंढने के लिए निकल पड़ते हैं। घने वन में उन्हें प्रसेन के मृत शरीर के पास में सिंह एवं जाम्बवंत के पैरों के निशान दिखाई पड़ते हैं। वह जाम्बवंत के पास पहुँच कर उससे मणि उसके पास होने का कारण पूछते हैं तब जांबवंत उन्हें सारे घटना क्रम की जानकारी देता है। जाम्बवंत अपनी पुत्री जाम्बवती का विवाह श्रीकृष्ण से कर देता है और उन्हें स्यमंतक मणि प्रदान करता है। प्रजा को जब सत्य का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण से क्षमा याचना करती है। यद्यपि यह कलंक मिथ्या सिद्ध होता है परन्तु इस दिन चांद के दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था और श्रीकृष्ण जी को अपमान का भागी बनना पड़्ता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि गणेश चतुर्थी पर्व का महत्त्व केवल पौराणिक ही नहीं बल्कि एतिहासिक भी है जो हिंदू शक्ति के पुनर्जागरण का प्रतीक है।

- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ लिदड़ां,
जालंधर।
मो. 70098-05778

कांग्रेस और खालिस्तान में गर्भनाल का रिश्ता

माँ और सन्तान के बीच गर्भनाल का रिश्ता ही ऐसा होता है, कि प्रसव के बाद शरीर अलग होने के बावजूद भी आत्मीयता बनी रहती है। सन्तान को पीड़ा हो त...