पंजाब में नशे की समस्या को लेकर विगत विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले फिल्म आई थी ‘उड़ता पंजाब’ लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी नशे के आसमान में राज्य की उड़ान अभी तक जारी है। उस समय मुख्यमन्त्री पद के कांग्रेस के उम्मीदवार कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुटका साहिब पर हाथ धर कर चार सप्ताह के भीतर नशे की कमर तोडऩे की सौगन्ध ली थी परन्तु उनके लाख प्रयासों से बाद भी आज फिर नशा राज्य में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन कर सामने आ रहा है। राज्य में नशे की हालत यह है कि चुनाव आयोग द्वारा 8 जनवरी को चुनावों की घोषणा किए जाने के बाद लगभग एक महीने में 278 करोड़ से अधिक की कीमत का नशीला सामान बरामद किया जा चुका है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।
Sunday, 13 February 2022
‘उड़ता पंजाब 2.0’ - राज्य में नशा आज भी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा
रोजाना औसतन 37 लोग गिरफ्तार
मार्च 2017 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, उसने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ सख्ती से कानून लागू करने, पीडि़तों के पुनर्वास और अन्य सरकारी एजेंसियों और पुलिस इकाइयों के साथ समन्वय करने के लिए एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू की अध्यक्षता में एक नशा रोधी विशेष कार्यबल (एसटीएफ) का गठन किया। 1 अप्रैल, 2017 से इस साल 31 जनवरी तक राज्य पुलिस की एसटीएफ और अपराध निरोधक शाखा ने ड्रग के मामले में 67,081 लोगों को गिरफ्तार किया। यह आंकड़ा प्रतिदिन औसतन 37 गिरफ्तारियों का है। पुलिस रिकॉर्ड से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए इन आरोपियों में 543 वे बड़ी भी मछलियां शामिल हैं, जिनसे प्रवर्तन एजेंसियों ने दो किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद की। साथ ही, राज्य भर में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस)एक्ट के तहत 51,461 प्राथमिकी या 29 प्राथमिकी प्रतिदिन दर्ज की गई हैं। कुल मामलों में से 6,487 नशे के कारोबारी मात्रा के मामले शामिल थे, जिसमें पिछले चार वर्षों और 10 महीनों के दौरान 11,269 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान राज्य भर से कुल 2,415 किलोग्राम चिट्टा (हेरोइन) बरामद किया गया। 2017 के बाद से हेरोइन की बरामदगी 3.6 गुना (363 प्रतिशत) बढ़ गई है। राज्य ने 2020 में लगभग 759 किलोग्राम की रिकॉर्ड हेरोइन बरामदगी देखी, जो पंजाब में अब तक किसी भी वर्ष के लिए सबसे बड़ा है।
105 कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई
पंजाब सरकार ने जनवरी 2017 से दिसंबर 2021 के बीच नशीली दवाओं से सम्बन्धित अपराधों में शामिल होने के लिए कम से कम 105 पुलिस कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इनमें प्रमुख चेहरों में इंस्पेक्टर इन्द्रजीत सिंह शामिल हैं, जिन्हें जून 2017 में बर्खास्त कर दिया गया था, जब ड्रग-विरोधी एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार किया था और फगवाड़ा में उनके आधिकारिक आवास से लगभग 4 किलो हेरोइन, 16 लाख रुपये और एक एके-47 राइफल जब्त की। इंद्रजीत वरिष्ठ अधिकारियों के करीबी थे और ड्रग्स की बड़ी बरामदगी के लिए जाने जाते थे। साथ ही, कुछ विवादास्पद पुलिस वाले हैं जो नशीली दवाओं के मामलों में घोषित अपराधी होने के बावजूद सत्ता के गलियारों में स्वतंत्र रूप से आगे बढऩे के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और सत्ताधारी सरकार के संरक्षण की सुविधा जारी रखते हैं।
ऐसे ही बर्खास्त किए गए पुलिस वाले में से एक उपनिरीक्षक सरबजीत सिंह हैं, जिन्हें 2013 में कुख्यात जगदीश भोला ड्रग रैकेट में भगोड़ा घोषित किया गया था और एनडीपीएस मामलों में सात केसों का सामना कर रहा है। उन्हें चंडीगढ़ पुलिस ने इस साल 19 जनवरी को पंजाब के तत्कालीन कार्यवाहक डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के हस्ताक्षर के लिए पुलिस के पदोन्नति आदेशों पर जाली हस्ताक्षर करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
आसानी से उपलब्ध
मार्च 2016 में ड्रग ओवरडोज के कारण 27 साल की उम्र में अपने ही बेटे मंजीत सिंह को खो देने वाले प्रसिद्ध ड्रग-विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता मुख्तयार सिंह पट्टी ने बताया - प्रवर्तन एजेंसियों ने नशीली दवाओं के खतरे को रोकने के लिए कुछ कदम उठाए होंगे, लेकिन मुझे शायद ही ऐसा दिख रहा हो। हेरोइन और अन्य दवाओं के रूप में जमीन पर कोई उल्लेखनीय परिवर्तन अभी भी आसानी से उपलब्ध है।
सीमावर्ती जिले तरनतारन के पट्टी गांव के मूल निवासी और पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में एक लाइनमैन, मुख्तयार ने कहा कि वह सफेद रंग में ‘कफन बोल पेया’ (ताबूत बोला गया) के साथ एक काला लबादा पहनता है और लोगों को अपने बच्चों को नशीले पदार्थों से बचाने के लिए शिक्षित करता है। 12 जनवरी को सीमा सुरक्षा बल द्वारा खेमकरण सेक्टर में 22 किलोग्राम हेरोइन बरामद करने के एक दिन बाद, मुख्तयार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को एक पत्र लिखा, जिसमें युवा जीवन को बचाने के लिए उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की गई।
दोष सिद्धि दर में सुधार
राज्य प्रवर्तन एजेंसियां एनडीपीएस अधिनियम के मामलों में 2018 में 59 प्रतिशत से 2019 में 64 प्रतिशत, 2020 में 66 प्रतिशत और 2021 में 79 प्रतिशत तक दोषसिद्धि दर में सुधार करने में सक्षम रही हैं। प्रवर्तन एजेंसियों ने 2019 के बाद से नशा तस्करों की 240 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की है। अकेले 2021 में, नशीली दवाओं के तस्करों और पेडलरों से 5.63 करोड़ रुपये की वसूली की गई। राज्य पुलिस ने अब तक ड्रग्स के मामलों में 299 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त करने के लिए 573 मामले सक्षम प्राधिकारी को भेजे हैं। इनमें से 270 करोड़ रुपये के 442 मामलों में सक्षम प्राधिकारी ने संपत्ति को फ्रीज करने को हरी झंडी दे दी है। राज्य पुलिस ने जनवरी 2017 से दिसंबर 2021 के बीच 4,362 किलो हेरोइन, 9 करोड़ गोलियां और टैबलेट, 398 टन पोस्त की भूसी नष्ट की। इसमें से 1,560 किलो हेरोइन, 6.67 करोड़ गोलियां और टैबलेट, 176 टन पोस्त की भूसी अकेले 2021 में नष्ट हो गई।
डीएपीओ और बड्डी प्रोग्राम
मार्च 2018 से, राज्य सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम अधिकारियों (डीएपीओ) के रूप में 6.24 लाख से अधिक स्वयंसेवकों को पंजीकृत किया, जिनमें 1.58 लाख से अधिक सरकारी आधिकारिक स्वयंसेवक, 4.66 लाख नागरिक और 57 ट्रांसजेंडर शामिल हैं, ताकि उनके आसपास के लोगों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभाव के बारे में शिक्षित किया जा सके और नशा करने वाले रोगियों को सहायता प्रदान करना। राज्य सरकार ने कमजोर बच्चों की पहचान करने के उद्देश्य से एक बड्डी प्रोग्राम भी शुरू किया था ताकि उन्हें नशीली दवाओं के जाल में पडऩे से बचाया जा सके। इस कार्यक्रम के तहत राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में 9.51 लाख से अधिक समूहों का गठन किया गया है, 43.5 लाख छात्रों ने दोस्त बनाए हैं और 1.52 लाख से अधिक वरिष्ठ मित्रों को नियुक्त किया है।
नशामुक्ति व पुनर्वास केन्द्र
आऊटपेशेंंट अपलोड एसिस्टेंट ट्रीटमेंट सैंटर - 206
ओओएटी क्लीनिक (जेलों में) - 13
पंजीकृत मरीज - 237006
सरकारी नशामुक्ति केंंद्र - 35
सरकारी पुनर्वास केंन्द्र - 19
निजी नशामुक्ति केन्द्र - 176
निजी पुनर्वास केन्द्र - 72
ओओएटी में मरीजों का उपचार - 731843
निजी अस्पतालों में मरीज - 492937
आंकड़े बताते हैं कि राज्य में नशा किस तरह सिर चढ़ कर बोल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नशा छोटे-बड़े इलाज से ठीक होने वाला रोग नहीं है बल्कि इसके लिए क्रिमोथैरेपी की आवश्यकता पड़ेगी। एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति व प्रशासनिक योग्यता के बल पर ही इस काम को अंजाम दिया जा सकता है।
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