हैं। कहीं-कहीं इण्डिया गठजोड़ के प्लेटफार्म पर मिल कर ये सूबेदार भाजपा की कड़ी परीक्षा लेने वाले हैं। दूसरी ओर विकसित और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर बढ़ रहा भारत बहुत सी शक्तियों के आंखों की किरकिरी बना हुआ है। जो भारत दुनिया हथियारों की दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था वो आज सैन्य सामग्री निर्यात करने लगा है, भला देसी-विदेशी शस्त्रलॉबी इसे कैसे बर्दाश्त कर सकती है? प्रतिबन्ध के बाद से देश में जिन लाखों विदेशी एनजीओ•ा की दुकानदारी बन्द हो गई क्या वे सत्तापरिवर्तन नहीं चाह रही होंगी? इन सबके मद्देनजर भाजपा को कार्यपद्धति पर चलते हुए पूरी शक्ति के साथ चुनावों में उतरना होगा और अनुकूलता के खतरों से सावधान रहना होगा।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।
Saturday, 16 March 2024
अनुकूलता के खतरों से सचेत रहे भाजपा
हैं। कहीं-कहीं इण्डिया गठजोड़ के प्लेटफार्म पर मिल कर ये सूबेदार भाजपा की कड़ी परीक्षा लेने वाले हैं। दूसरी ओर विकसित और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर बढ़ रहा भारत बहुत सी शक्तियों के आंखों की किरकिरी बना हुआ है। जो भारत दुनिया हथियारों की दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था वो आज सैन्य सामग्री निर्यात करने लगा है, भला देसी-विदेशी शस्त्रलॉबी इसे कैसे बर्दाश्त कर सकती है? प्रतिबन्ध के बाद से देश में जिन लाखों विदेशी एनजीओ•ा की दुकानदारी बन्द हो गई क्या वे सत्तापरिवर्तन नहीं चाह रही होंगी? इन सबके मद्देनजर भाजपा को कार्यपद्धति पर चलते हुए पूरी शक्ति के साथ चुनावों में उतरना होगा और अनुकूलता के खतरों से सावधान रहना होगा।
Monday, 11 March 2024
अब स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की साख पर सवाल
मौके बेमौके दुनिया को मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका की स्थिति औरों को नसीहत खुद मीयां फजीहत वाली बनी हुई है। कारण है कि वहां पर दूसरे देशों से आए नागरिकों पर नस्लीय हमले बढ़ते जा रहे हैं और इसकी बहुत बड़ी संख्या में शिकार भारतीय बन रहे हैं। अपनी मेधा-परिश्रम के बूते अमेरिका में विशिष्ट जगह बनाते भारतीय युवा उन नस्लीय अमेरिकी युवाओं की आंख की किरकिरी बने हुए हैं जिन्हें लगता है कि भारतीय उनकी जगह ले रहे हैं। दरअसल, इस सोच को दक्षिणपन्थी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हवा दी। इसी साल फरवरी के पहले सप्ताह शिकागो में एक भारतीय युवा को अज्ञात हमलावरों ने निशाना बनाया। इससे पहले एमबीए की डिग्री लेने करने वाले विवेक सैनी की लिथोनिया में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इण्डियाना में समीर कामत कुछ दिन पहले मृत पाए गए। एक अन्य छात्र नील आचार्य लापता हुए, बाद में उनकी मृत्यु हो गई। वहीं एक युवा अकुल धवन, जो इलिनोइस विश्वविद्यालय का छात्र था, जनवरी में मृत पाया गया। इसी तरह श्रेयस रेड्डी की मौत की खबर भी कुछ सप्ताह पूर्व आई। निश्चय ही ये घटनाएं अमेरिका जैसे उस देश के लिए शर्मनाक हैं जो अपने आप को दुनिया का आदर्श लोकतांत्रिक देश होने का दावा करता है। ये घटनाएं स्टैच्यू आफ लिबर्टी की साख पर भी सवाल उठाने का काम कर रही हैं।
भोगवादी संस्कृति में पले अमेरिकी युवाओं को परिश्रमी व मेधावी भारतीयों की सफलता हजम नहीं हो रही। आज एक प्रतिशत भारतीय अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रतिशत आयकर दे रहे हैं। दरअसल, अमेरिका में बेरोजगारी काफी है और स्थानीय छात्र भारतीयों का मुकाबला नहीं कर पा रहे और वे स्पर्धा की बजाय हिंसाचार से खुन्नस निकालने का प्रयास करते हैं। वे स्वयं को यहां का मूलनिवासी बता कर अपनी दुर्दशा के लिए मेधावी भारतीयों को जिम्मेवार मानते हैं। रोजगार के अवसरों की कमी के चलते उत्पन्न असन्तोष के कारण बड़ी संख्या में अमेरिकी नशे और अपराध की दुनिया में उतर रहे हैं। यह दुखद ही है कि पिछले एक साल में अमेरिका में रह रहे पांच सौ बीस भारतीय मूल के लोगों के साथ नस्लीय हिंसा की घटनाएं हुई हैं जो विगत साल के मुकाबले में चालीस प्रतिशत अधिक हैं। हिंसा की चपेट में केवल छात्र ही नहीं बल्कि वहां नौकरी कर रहे और वहां बस चुके लोग भी शामिल हैं।
अतीत में जाएं तो पता चलेगा कि भारतीयों का अमेरिकी प्रवास काफी पुराना है। साल 1900 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में दो हजार से अधिक भारतीय थे, मुख्यतरू कैलिफोर्निया में। आज, भारतीय अमेरिकी संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं। जनगणना ब्यूरो द्वारा संचालित 2018 अमेरिकी सामुदायिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार संयुक्त राज्य में रहने वाले भारतीय मूल के 4.2 मिलियन लोग हैं। जैसे-जैसे भारतीय अमेरिकी समुदाय की प्रोफाइल बढ़ी है, वैसे ही इसका आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी बढ़ा है।
वहां की हर पार्टी की सरकारों में भारतीयों की संख्या काफी सराहनीय रही है। ट्वीटर (एक्स) के सीईओ पराग अग्रवाल हैं तो गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई हैं जिनकी वार्षिक आय 242 मिलियन डॉलर है। पिचाई 2015 में गूगल के सीईओ बने थे। आज गूगल क्रोम सबसे पॉपुलर इंटरनेट ब्राउजर है और इसका श्रेय पिचाई को ही जाता है। इसके साथ ही गूगल हर सर्च से करीब हर मिनट 2 करोड़ रुपये की कमाई करता है। सत्या नडेला वर्ष 2014 में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बने थे। वर्तमान में कम्पनी का बाजार पूंजीकरण करीब 2.53 खरब डॉलर है। नडेला की आय 23 लाख डॉलर पहुँच गई। नडेला को ग्लोबल इंडियन बिजनेस आइकॉन का सम्मान भी मिल चुका है। भारतीय मूल के अरविन्द कृष्णा 2020 से अमेरिका की बड़ी कम्पनी इण्टरनेशनल बिजनेस मशींस के सीईओ हैं। इस कम्पनी की बाजार पूंजी 8 लाख करोड़ रुपए से ऊपर है।
भारतीय मूल के शान्तनु नारायण 2007 से एडॉब इंक के सीईओ हैं। इसके अलावा अमेरिका की प्रमुख फूड और बेवरेज कम्पनी पेप्सीको में इन्दिरा नूई लगभग 12 साल तक सीईओ बनी रहीं। नूई के 12 साल के कार्यकाल में पेप्सिको की आय में 80 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई। वर्तमान में भारतीय मूल के जो लोग अमेरिकी टेक कम्पनियों को सम्भाल रहे हैं उनकी कुल बाजार सम्पदा लगभग 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। माइक्रोसॉफ्ट के 34 प्रतिशत कर्मी भारतीय मूल के लोग हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों में भी 12 प्रतिशत भारतीय हैं और नासा के तो 36 प्रतिशत वैज्ञानिक भारतीय मूल के हैं। भारतीयों की भूमिका अमेरिका के विकास में गिनाने बैठें तो शायद ये चर्चा कभी खत्म न हो। ये भारतीय हैं जो अमेरिका को विकास की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और अमेरिका भी इस बात को स्वीकार करता है।
भारतीय किसी की कृपा या दया पर नहीं बल्कि अपनी योग्यता, परिश्रम व मेधा के बल पर मौजूदा मुकाम पर पहुंचे हैं। असल में पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की संकीर्ण दक्षिणपन्थी सोच जो वहां के युवाओं में तेजी से फैल रही है और यह मानती है कि अमेरिका पर केवल वहां के निवासियों का ही अधिकार है। ऐसी सोच रखने वालों को एक बार अमेरिका के असली मूलनिवासियों के बारे भी सोचना चाहिए जो आज लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल हो चुके हैं। अमेरिका में आज जो भी हैं वो सभी बाहर से आए लोग हैं और अपने परिश्रम से आगे बढ़े हैं। वहां के युवाओं को भारतीयों से ईर्ष्या करने की बजाय इनसे सीख व प्रेरणा लेनी चाहिए।
Rakesh Sain, Jallandhar
Mob. 77106-55605
Saturday, 9 March 2024
भारत एक राष्ट्र है न कि राज्यों का गठबन्धन
गत दिनों विपक्षी दलों के ‘इण्डी’ गठजोड़ के मुख्य घटक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कडग़म (डीएमके) के सांसद श्री ए. राजा ने विवादित ब्यान दिया कि ‘हमें अच्छी तरह समझ लेना चहिए कि भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा। एक राष्ट्र का अर्थ है एक भाषा, एक परम्परा और एक संस्कृति। भारत एक राष्ट्र नहीं बल्कि उप-महाद्वीप है।’ उन्होंने तमिलनाडू, मलयालम, उडिय़ा की भाषाई, खानपान व पहनावे की विविधता को विभिन्नता व अलगव बता कर भारत को कई नेशन्ज का संघ बताया।
- राकेश सैन32, खण्डाला फार्म कालोनी,ग्राम एवं डाकखाना लिदड़ा,जालन्धर।सम्पर्क : 77106-55605
Saturday, 2 March 2024
यात्रा से भटकी कांग्रेस
- राकेश सैन32, खण्डाला फार्म कालोनी,डाकखाना लिदड़ा,जालन्धर।सम्पर्क : 77106-55605
सन्देशखाली : टीएमसी का तालिबानी तंत्र
पश्चिम बंगाल के उत्तर परगना जिले के सन्देशखाली से जिस तरह के समाचार आरहे हैं उससे एक बार तो सन्देह होता है कि क्या यह वही 'आमार शोनार बांग्ला' भूमि है जहां कभी रविन्द्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानन्द जी जैसी पुण्यात्माओं ने जन्म लिया। बंगाल की प्रगतिशीलता के बारे कहा जाता है कि जो बात देशवासी आज सोचता है 'बांग्ला मानुसÓ उसे वर्षों पहले सोच चुका होता है। माँ दुर्गा की पावन धरा बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा महिलाओं पर भीषण अत्याचार के जो समाचार वहां से आरहे हैं उनको सुन कर तो एक बार तालिबानी और आईएस सरीखे आतंकी संगठन भी शर्मसार हो जाएं। यह और भी शर्मनाक है कि सुश्री ममता बैनर्जी जैसी एक महिला मुख्यमंत्री के शासन में ये सबकुछ हो रहा है जो अपने आप को बंगाल की शेरनी कहलाना ज्यादा पसन्द करती हैं।
ह त्यागने ही होंगे और सन्देशखाली के आरोपियों को सींखचों के पीछे पहुंचाना ही होगा। यही संवैधानिक मर्यादा व न्याय की मांग है।
- राकेश सैन32, खण्डाला फार्म कालोनी,ग्राम एवं डाकखाना लिदड़ा, जालन्धर।सम्पर्क : 77106-55605
कांग्रेस और ‘आप’: इस रिश्ते को क्या नाम दें ?
देश में लोकसभा चुनावों की तैयारी को लेकर ‘इंडी’ गठजोड़ के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबन्धन हो चुका है। देश के अन्य हिस्सों जैसे दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और गोवा में दोनं दल मिल कर चुनाव लड़ेंगे जबकि पंजाब में एक-दूसरे के खिलाफ। इस अजीबो-गरीब गठजोड़ को देख कर हास्य अभिनेता कादर खान की उस फिल्म में कमेडी का स्मरण हो आया जिसमें प्रेमी की माँ और प्रेमिका का बाप भी एक दूसरे के चक्कर में पड़ कर शादी कर बैठते हैं। अब इस रिश्ते से प्रेमी अपनी प्रेमिका भाई हो गया और उसका अपना पिता उसका ससुर भी बन गया। प्रेमिका भी अपनी माँ को सासू कहे या मम्मी, उसे समझ नहीं आरहा था। परिवार में इन दोनों जोडिय़ों के होने वाले बच्चों के सामने समस्या पैदा हो गई कि कौन किसको किस रिश्ते से पुकारे? इसी तर्ज पर उक्त राजनीतिक गठजोड़ को देख कर यह बात सत्य साबित हो गई है कि देश में नई तरह की राजनीति का वायदा करके आए अरविंद केजरीवाल ने वास्तव में नया कर दिखाया है। हालांकि इस तरह के बेमेल गठजोड़ अतीत में भी कुछ स्थानों पर होते रहे हैं परन्तु राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार यह बेर और केर का साथ चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ चले अन्ना हजारे आन्दोलन से ऊपजी आम आदमी पार्टी अब उसी के पक्ष में भुगतती दिखाई दे रही है।
रोचक है कि चुनावों में प्रचार के दौरान पंजाब में कांग्रेस जहां भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को कोसेगी और अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उछालेगी वहीं दोनों दल दूसरे राज्यों में एक-दूसरे की पीठ खुजाएंगे। केंद्र में अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो यहां के सांसद चाहे वह कांग्रेस के हों या आप के एकसाथ सरकार में बैठेंगे और भाजपा सरकार बनी रहती है तो विपक्ष में गलबहियां डाले दिखेंगे, यानि हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई-अरे मार डाला दुहाई दुहाई। पंजाब में इस रिश्ते को फिक्स मैच या नूरा कुश्ती का नाम दिया जाने लगा है। कल 1 मार्च को पंजाब विधानसभा में शुरू हुए बजट सत्र के दौरान कांग्रेस ने पंजाब में शंभू सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन में मारे गए युवक को लेकर आप की सरकार को घेरा तो सत्तापक्ष ने कांग्रेस पर पलटवार किया। भाजपा ने इसे फिक्स मैच बता कर उपहास किया है और कहा है कि किसानों के खिलाफ दोनों अंदर से मिले हुए हैं।
इस बेमेल खिचड़ी गठबन्धन को लेकर एक कहानी सुनाई जाने लगी है कि जैसे बाढ़ के समय जान बचाने के लिए अपनी दुश्मनी भुला कर हर तरह के जीव-जन्तु ऊंचाई वाली जगह पर एकत्रित हो जाते हैं परन्तु पानी उतरते ही उनकी मित्रता उसी बाढ़ के जल में प्रवाहित हो जाती है और फिर एक दूसरे की जान के दुश्मन बन जाते हैं। लगता है कि देश में जिस तरह का राजनीतिक वातावरण बना हुआ है और भाजपा की विजय की अभी से भविष्यवाणी करने वालों की संख्या बढ़ रही है, शायद उसी के भय से आम आदमी पार्टी व कांग्रेस ने मिल कर भानूमती का कुनबा जुटाया है। देश के इतिहास में यह दूसरा चुनाव है जब भ्रष्टाचार को लेकर सरकार हावी है और विपक्षी दल रक्षात्मक मुद्रा में हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर तो काफी समय से इस तरह के केस चले आ रहे हैं परन्तु कट्टर ईमानदार अरविंद केजरीवाल व आप के कई बड़े नेताओं पर भी दिल्ली आबकारी घोटाले के छींटे पड़े हैं जो उन्हें बेचैन किए हुए हैं। आम आदमी पार्टी के कई नेता तो जेलों में कैद हैं और यहां तक कि उन्हें इन केसों में सर्वोच्च न्यायालय से जमानत तक नहीं मिल पा रही। ये वही केजरीवाल हैं जो सोनिया गांधी को मंच पर खड़े हो कर भ्रष्टाचारी बताते थे और दिल्ली की पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित के कथित भ्रष्टाचार के सबूतों का पुलिंदा होने का दावा करते थे। दिल्ली विधानसभा चुनावों में उन्होंने दावा किया था कि सत्ता में आते ही इन सबको जेल की हवा खिलाई जाएगी। पर आज वही केजरीवाल कांग्रेस को परममित्र बताते नहीं अघाते।
पंजाब में भी भगवंत मान की सरकार ने आते ही कथित भ्रष्टाचार उन्मूलन अभियान चला कर एक दर्जन के करीब पूर्व कांग्रेसी मंत्रियों व विधायकों के यहां सतर्कता विभाग की छापामारी करवाई और कईयों को जेल में भेजा परन्तु वर्तमान में न जाने किस कारण से उनका यह अभियान केवल पटवारियों-क्लर्कों तक सीमित हो कर रह गया। बड़े नेताओं के केस लम्बी तारीख पर डाल दिए गए हैं। पंजाब के बड़े कांग्रेसियों के भ्रष्टाचार पर न केवल भगवंत मान बल्कि उनके मंत्रियों व नेताओं तक ने बोलना कम कर दिया।
जैसे कि बताया जा चुका है कि विरोधी दलों से गठजोड़ होना कोई नई बात नहीं है परंतु किसी दो दलों में एक स्थान पर तो गठबंधन हो और दूसरी जगह पर एक-दूसरे से भिड़ते दिखें तो अतीत में ऐसा राजनीतिक उदाहरण दुर्लभ ही है। कहने को दोनों दल दावा करते
हैं कि वे देश में लोकतंत्र व संविधान बचाने के लिए एक दूसरे के साथ आए हैं अगर ऐसा है तो इतने पवित्र यज्ञ में पंजाब को क्यों आहूति डालने से वंचित कर दिया ? देशवासी अब आम आदमी पार्टी व कांग्रेस दोनं से पूछ रहे हैं कि इस रिश्ते को क्या नाम दें ?
- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्म कालोनी,
ग्राम एवं डाकखाना लिदड़ा,
जालन्धर।
सम्पर्क : 77106-55605
कांग्रेस और खालिस्तान में गर्भनाल का रिश्ता
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