Tuesday, 2 January 2018

सकहिं न राखि राम कर द्रोही

राम-रावण युद्ध के दौरान दोनो योद्धा बराबर नजर आरहे थे। आकाश में दुविधाग्रस्त देवता जय-जयकार कर रहे थे परंतु बिना किसी का नाम लिए। नारदजी के पूछने पर देवताओं ने कहा हे मुनिवर, जो जीतता नजर आएगा उसीका नाम लेना शुरु कर देंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर पाकिस्तान को झूठा और धोखेबाज बताया है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता दी गई और ये मूर्खतापूर्ण फैसला था। अमेरिका ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की आर्थिक सहायता दी और उसने बदले में झूठ व छल के सिवाय कुछ नहीं दिया। वह सोचता है कि अमरीकी नेता मूर्ख हैं। हम अफगानिस्तान में जिन आतंकवादियों को तलाश रहे हैं, उन्होंने उन्हें शरण दी। अब और नहीं। इस ट्वीट से पाकिस्तान हिल गया है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद के खिलाफ भारतीय नीति की यह अपरोक्ष अणुगूंज है। भारत भी पिछले कई दशकों से यही कहता आया है कि उसका पड़ौसी अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता का दुरुपयोग आतंक को पल्लवित-पोषित करने में कर रहा है। घरेलु व वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारतीय दृष्टिकोण की यह पुष्टि तो है परंतु हमें मानवता के सम्मुख इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरे आतंकवाद से अपने दम पर ही निपटना होगा। अनुभव बताता है चाहे ट्रंप सरकार आज हमारे पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही है परंतु इस संग्राम में देवताओं की भांति अवसरवादी अमेरिका पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।

अमेरिकी राष्ट्रपति के ट्वीट से स्पष्ट नहीं हो पाया कि पाकिस्तान पेंटागन को 15 सालों से मूर्ख बना रहा था कि आज ट्रंप दुनिया को मूर्ख बना रहे हैं। यह बात उस देश का राष्ट्रपति कर रहा है जिसकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए इस बात की भी जानकारी रखने का दावा कर सकती है कि सूरज के कोष में कितनी रोशनी और पाताल पुष्प की पंखुडिय़ों में कितना मरकंद है। अमेरिका अगर तालिबानियों से बरामद होने वाले हथियारों की मुहरें जांचे तो वह पेंटागन से बने ही निकलेंगे। कौन नहीं जानता कि पिछली सदी में शीत युद्ध के दौरान अफगानिस्तान से रूस को निकालने के लिए इन मुजाहिदों को किसने हथियार व प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया। रूस की घर वापसी के बाद जब जंगजूओं की आवश्यकता कम हो गई तो नाटो की सेना को उतार दिया इनके खिलाफ। अमेरिका को इसके लिए अफगानिस्तान के पड़ौसी देश पाकिस्तान की आवश्यकता थी। अपनी इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए उसने आंखें मूंद कर पाकिस्तान को समर्थन देना जारी रखा। यहां तक कि भारत में पाकिस्तानी इशारे पर मुंबई बम धमाके, संसद पर हमला, मुंबई पर आतंकी हमला जैसे बड़े व दर्जनों छोटे-मोटे आतंकी हमले होते रहे। भारत एक लोकतांत्रिक व जिम्मेवार देश होने के नाते पाकिस्तान और अमेरिका सहित पूरी दुनिया को अपने जख्म दिखाता रहा और सबूत देता रहा इनके पीछे पाकिस्तान के हाथ का परंतु अमेरिका ने कभी इनको गंभीरता से नहीं लिया। हमारे आंसू पोंछने के लिए अमेरिकी मंत्री या अधिकारी पाकिस्तान की डांट डपट तो अवश्य कर देते परंतु तत्काल बाद बड़े लाड प्यार से भारी भरकम आर्थिक सहायता की दूध की बोतल भी मुंह में भी घुसेड़ देते। अपने यहां हुए आतंकी हमलों के बाद इराक व अफगानिस्तान को लगभग पूरी तरह ध्वस्त करने वाला अमेरिका हमें हर आतंकी हमले के बाद संयम बरतने का परामर्श देता। क्या पाकिस्तान के एबटाबाद में कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन को सील कमांडो की कार्रवाई में मारने और वहां के भू-भाग पर शृंखलाबद्ध ड्रोन हमले करने वाले अमेरिका को यह कहने का अधिकार है कि पाकिस्तान उन्हें मूर्ख बना रहा था? कौन ट्रंप की बातों पर विश्वास करेगा? अमेरिकी 15 साल मूर्ख बनते रहे या आज दुनिया को बना रहे हैं?

आतंकवाद के मोर्चे पर भारत को अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों से मिली उपेक्षा हमारे लिए अवसर ही बनी। यह हमारे नेतृत्व का ही असर है कि बिना संयम खोए परंतु पूरी दृढ़ता के साथ घरेलु व वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष जारी रखा गया। हमारी सरकारें इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सहित अनेक वैश्विक मंचों पर ले गईं और समय-समय पर पाकिस्तान का पूरे प्रमाणों के साथ पाकिस्तान का पटाक्षेप किया। आज भारत आतंक के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व बन कर उभरा है। अफगानिस्तान में हर तरह के प्रयासों के बावजूद अमेरिका के नेतृत्व में नाटो की सेना को पूरी तरह सफलता नहीं मिल पाई है। लेकिन दूसरी तरफ वहां विकास के जरिए आतंक पर काबू पाने की भारत की नीति परिणामकारी साबित हो रही है। किसी समय अमेरिका के पिछलग्गू रहे पाकिस्तान के नेताओं अब चीन में पत्तल चाटने को मिल रहे हैं। जहां दिखी भरी परात वहीं गुजारी सारी रात की नीति पर चलते हुए पाकिस्तान पूरी तरह चीन की गोद में बैठा दिख रहा है। इधर चीन हर मोर्चे पर अमेरिका को आंखें दिखा रहा है, ड्रैगन पर अंकुश के लिए अमेरिका को भारत की आवश्यकता अनुभव हो रही है और इसी के चलते वह इस भारत के मनलुभावनी बातें करता दिख रहा है।

अमेरिका की सोच में आया परिवर्तन स्वागतयोग्य तो है परंतु भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई न केवल खुद लडऩी होगी बल्कि वर्तमान संघर्ष जारी रखना होगा। मौकापरस्त शक्तियों व देशों के सहारे आतंकवाद का गढ़ जीता नहीं जा सकता। वर्तमान युग की दानवी शक्तियों के खिलाफ लड़ाई की प्रेरणा हमें रामायण से लेनी होगी। रावण के दरबार में बंधे हुए हनुमानजी उसे चेतावनी देते हैं -

सुनु दसकंठ कहउं पन रोपी। बिमुख राम त्राता नहिं कोपी।।
संकर सहस बिष्नु अज तोही। सकहिं न राखि राम कर द्रोही।।

अर्थात हे दसानन, कान खोल कर सुन। रामद्रोही को हजारों ब्रह्मा, विष्णु और शंकर मिल कर भी नहीं बचा सकते। जिस दिन आतंकियों को यह संदेश चला गया कि भारत की एकता-अखण्डता और जान-माल के साथ खिलवाड़ किया वह दिन उसका अंतिम होगा और विश्व की कोई शक्ति उसे बचा नहीं पाएगी, उसी दिन से आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णाक जीत का दौर शुरू हो जाएगा। 

- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा, जालंधर।
मो. 097797-14324

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