Sunday, 21 January 2018

पंजाब कांग्रेस मेंं पतझड़ की शुरुआत

पंजाब की सत्ता में मात्र दस माह पहले सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी में समय से पहले ही पतझड़ के मौसम ने आहट दे दी लगती है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोटें हासिल करने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद करीबी व राज्य के ऊर्जा मंत्री राणा गुरजीत सिंह को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ गया और पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक निजी प्रधान सचिव की नियुक्ति रद्द कर दी। राज्य की आर्थिक हालत भी खस्ता बनी हुई है और सरकार को परियोजनाओं से हाथ खड़े करने पड़ रहे हैं। किसानों के कर्जे माफ करने को लेकर बड़े ढोल बजाए गए थे परंतु उसको लेकर भी किसानों में असंतोष पैदा होना शुरू हो चुका है। 

पंजाब में दस महीने पुरानी कांग्रेस सरकार में एक झटका अमरिंदर को अपने विश्वासपात्र सुरेश कुमार के मुख्य प्रधान सचिव के पद से हटने से लगा। उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद पद छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा कि कैडर पद पर उनकी नियुक्ति अवैध और संविधान का उल्लंघन है। 1983 बैच के आईएएस कुमार अप्रैल 2016 में पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। बीते साल मार्च में मुख्यमंत्री बनने के बाद अमरिंदर ने उन्हें फिर से नियुक्त किया था। कुमार 2002 से 2007 तक भी अमरिंदर के मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रधान सचिव रहे थे। सरकारी गलियारों में यह भी कानाफूसी हो रही है कि सरकार और कांग्रेस की एक मजबूत लॉबी ही कुमार की नियुक्ति के खिलाफ दायर की गई याचिका के पीछे है। शायद, यह लॉबी एक ईमानदार अफसर को राज्य सरकार के कामकाज के सिलसिले में एक तरह से सभी फैसले लेने से खुश नहीं थी। दूसरा झटका अमरिंदर सिंह ऊर्जा मंत्री के रूप में लगा, जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें राज्य के रसूखदार कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा मंजूर करने के लिए बाध्य किया। राणा बीते कुछ महीनों से पंजाब में कई करोड़ की बेनामी बालू खनन नीलामियों को लेकर विवादों में थे। मंत्री की भूमिका और उनके परिवार के व्यापारिक हितों को लेकर उनके सामने हितों के टकराव का मुद्दा खड़ा हुआ। उन्होंने इस महीने के शुरू में इस्तीफा दे दिया था लेकिन अमरिंदर उसे मंजूर करने में देरी कर रहे थे। राणा के मामले ने तब गंभीर रुख ले लिया जब प्रवर्तन निदेशालय ने राणा के बेटे इंदर प्रताप सिंह को रिजर्व बैंक से अनुमति लिए बगैर विदेश में एक अरब रुपये इक_ा करने पर समन जारी किया। राणा को अमरिंदर ने अपनी कैबिनेट में शामिल कर ऊर्जा व सिंचाई जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा था। वह हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहे। अमरिंदर उनका बचाव करते रहे लेकिन पार्टी आलाकमान के दखल के बाद उन्हें उनका इस्तीफा मानने पर बाध्य होना पड़ा।

दूसरी ओर आर्थिक व वायदा पूरा करने के मोर्चे पर भी कांग्रेस सरकार घिरती नजर आरही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से आग्रह किया है कि राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वे किसानों का पूरा कर्जा माफ नहीं कर पाए, किसानों को मजबूरी समझते हुए अपना राज्यव्यापी संघर्ष वापिस ले लेना चाहिए। ये वही कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राज्य में न जाने कैसे-कैसे बढ़ चढ़ कर वायदे किए थे। अब असलीयत से वास्ता पडऩे के बाद मात्र 10 महीने पुरानी सरकार हांफती दिखने लगी है। राज्य की खराब वित्तीय हालत और कर्ज के भार ने सरकार के हाथ खड़े करा दिए हैं। नई विकास परियाजनाएं शुरू करना तो दूर, पहले से चल रहे प्रोजेक्टों पर भी ब्रेक लगा दी गई है। विकास के कार्यों के लिए खजाना खाली पड़ा है। हालात इतने खराब चल रहे हैं कि हर महीने सरकारी अफसरों और मुलाजिमों की तनख्वाह के लिए जोड़-तोड़ से पैसों का जुगाड़ करना पड़ रहा है।

- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324

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