कठुआ बलात्कार व हत्याकांड में पीडि़ता बच्ची के परिजन आज बेनामी जिंदगी जी रहे हैं। साल पहले ऐसा नहीं था, देश की सड़कें मोमबत्तीवादियों से अटी पड़ी थीं, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया पीडि़त परिवार की चौखट पर पंक्तिबद्ध हो कर खड़ा था। बड़े-बड़े संपादक अपनी मेज पर सिर पटके कलम से आग उगले जा रहे थे। अभियानवादी सरकार को कोस रहे थे, हिंदू समाज व धर्म को लांछित किया जा रहा था। रचनात्मक कलाकार त्रिशूल पर कंडोम लगे कार्टून बना कर वितंडावादी स्वच्छंदता पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बरक चढ़ा रहे थे। लेकिन आज ट्रेजडी टूरिज्म पर की दुकान पर ताला लगा है। पीडि़ता के लिए मर मिटने के दावे करने वाली वकील एक साल में ही केस से हट चुकी हैं। केस की आड़ में उसने सरकारी ऐशो आराम व वीआईपी सुविधा की मांग की परंतु पूरी नहीं हुई तो इंसाफ के प्रति उनका प्यार फीका पड़ गया। पीडि़ता के परिजन कहते हैं कि उन्हें भरोसा दिया जा रहा था कि 90 दिन में इंसाफ मिल जायेगा, लेकिन पूरा एक साल बीत गया है हमें अभी भी इंसाफ नहीं मिला। इतना कहते ही कठुआ जिले के रसाना गांव की आठ साल की बकरवाल लड़की की माँ अपनी आँखें भर लेती हैं और रोने लगती हैं। वो कहती हैं, हमें आज भी 24 घंटे अपनी बच्ची की याद सताती है। एक साल हो गया उसे नहीं देखा, खेलते-खेलते उसको उठा कर ले गए और बेरहमी से मार डाला, बदतमीज़ी की उस बच्ची के साथ।
इस प्रकरण से दुखी केवल यही परिवार नहीं बल्कि आसपास के लोग भी हैं। यहां तक कि आरोपियों के परिवार वाले भी कहते हैं कि बच्ची के साथ दुराचार हुआ है तो करने वालों को फांसी दे दो परंतु बेकसूरों को क्यों फंसाया गया है। आरोपी सांजी राम के परिवार का दुख यह भी है कि किसी साजिश के तहत पुलिस ने उनके प्रियजनों को आरोपी बना दिया, बाद में मीडिया ट्रायल ऐसा चला कि दुनिया भर में उनके परिवार को बदनाम किया गया। यह परिवार आज भी पूरे मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहा है। उनका दावा है कि दुनिया में यह पहला केस होगा जब आरोपी पक्ष के लोग सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं और अभियोग लगाने वाले इससे बचते दिख रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों ? सच्चाई सामने आने से कौन डर रहा है?
पिछले साल 17 जनवरी, 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बकरवाल समुदाय की एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुराचार कर उसकी हत्या करने की घटना सामने आई। पुलिस के मुताबिक आठ साल की उस बच्ची को एक जगह में कैद रखा गया। हफ्ते भर उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। यहां तक कि गला घोंटकर मारे जाने से चंद मिनट पहले तक बलात्कार होता रहा और फिर लाश जंगल में फेंक दी गई। जांच एजेंसी ने इस मामले में सांजी राम और उनके बेटे विशाल कुमार समेत नौ अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था। इसमें एक पुलिस हेड कॉन्स्टेबल, दो एसपीओ और एक सब-इंस्पेक्टर भी शामिल हैं। तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार ने 23 जनवरी को पूरे मामले को जम्मू कश्मीर अपराध शाखा को सौंप दिया और एसआईटी का गठन किया गया। ये जांच 9 अप्रैल को पूरी हो गई और पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिए। मई 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले को पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित कर दिया था। आरोप पत्र के मुताबिक बलात्कार और हत्या की साजिश पूर्व राजस्व कर्मचारी सांजी राम ने रची। उसने विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और नाबालिग भतीजे को साजिश में शामिल किया। चार्जशीट अनुसार, 10 जनवरी को सांजी राम के भतीजे और उसके दोस्त मन्नू ने बच्ची को भटका कर जंगल में दुराचार किया। वे लड़की को गांव के मंदिर परिसर 'देवस्थान' में ले गए, जहां उसे बंधक बनाकर रखा गया। उसे हाई डोज की 'क्लोनाजेपम' नाम की नशीली दवा दी गयी ताकि वो चीख ना सके। 11 जनवरी को किशोर आरोपी ने सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को लड़की के किडनैपिंग के बारे में जानकारी दी, कहा कि अगर वह भी हवस बुझाना चाहता है तो मेरठ से आ जाए। आरोपपत्र अनुसार, 13 जनवरी को बच्ची के साथ विशाल जंगोत्रा और किशोर ने रेप किया। 14 जनवरी को सांजी राम के निर्देश पर बच्ची को मंदिर से हटाया गया और उसे खत्म करने के इरादे से मन्नू, जंगोत्रा और किशोर उसे पास के जंगल में ले गए। खजुरिया भी मौके पर पहुंचा और उनसे इंतजार करने को कहा क्योंकि वह बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ फिर से बलात्कार करना चाहता था। बच्ची से एक बार फिर गैंगरेप किया गया और बाद में किशोर ने उसकी हत्या कर दी। किशोर ने बच्ची के सिर पर एक पत्थर से दो बार वार किया और उसके शव को जंगल में फेंक दिया। आरोपपत्र अनुसार, दरअसल गाड़ी का इंतजाम नहीं हो पाने के चलते नहर में शव को फेंकने की उनकी योजना नाकाम हो गई। केस के जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और सब इंस्पेक्टर आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर 4 लाख रूपए लिए और अहम सबूत नष्ट किए।
कठुआ दुराचार व हत्याकांड कई सवालों के घेरे में है। क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में पकाई गई कहानी लगती है। बताया गया है कि देवस्थान में नाबालिग को तीन दिन तक रखकर रेप होता रहा। लेकिन देवस्थान की स्थिति देखकर इस पर कई सवाल उठते हैं। इस देवस्थान के तीन दरवाजों की चार चाबियां हैं। तीन चाबियां रसाना के 13 घरों में बदल-बदल कर रखी जाती हैं। इसके अलावा एक चाबी पाटा गांव में है। इस गांव में 30 के करीब घर हैं। सुबह 6 से लेकर 10 बजे और शाम 6 से 8 बजे तक सब लोग देवस्थान में ज्योति जलाने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुल देवता के स्थान पर प्रतिदिन दो बार ज्योति जलाई ही जाती है। सांझी राम की बेटी मोनिका शर्मा ने कहा कि क्राइम ब्रांच ने बताया कि तीन दिन तक बच्ची से देवस्थान के भीतर रेप हुआ, लेकिन उक्त तीन दिनों में सुबह शाम लोग आकर माथा टेक कर गए। यदि लड़की को यहां छुपाया होता, तो पता चल जाता। जम्मू बार एसोसिएशन के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने जिस विशाल जंगोत्रा को दुष्कर्म का आरोपी करार दिया है, वो घटना के समय सैकड़ों मील दूर मुजफ्फरनगर के एक परीक्षा केंद्र में परीक्षा दे रहा था। एसोसिएशन ने अपने दावे के समर्थन में दस्तावेजी सबूत भी पेश किए हैं। जिसमें वो 12 तारीख को मृदा विज्ञान का पेेपर दे रहा था। क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में बताया गया कि बच्ची को देवस्थान में पड़े टेबल के नीचे छिपा कर रखा गया था। लेकिन पुलिस जिस टेबल की बात करती है वह करीब दो फुट ऊंता और लंबाई ढाई फुट है। इसके नीचे किसी को छुपाकर रखना जाए तो साफ तौर पर पता चल जाएगा। बेशक इसे सभी तरह से कवर करके रखा जाए।
पुलिस की चार्जशीट में बताया गया है कि घर के रास्ते में शव मिला था। जिस जगह पर नाबालिग का शव मिला। वो जगह सांजी राम के घर और देवस्थान को जोड़ती है। यह भी एक सवाल है कि सांजी राम के घर के रास्ते के बीच शव क्यों फेंका, जबकि आरोपियों को मालूम था कि वहां से चौबीस घंटों लोग गुजरते हैं। यह रास्ता सांजी राम के अलावा अन्य घरों को शार्टकट रास्ते के रूप में जोड़ता है। स्थानीय लोगों में सवाल पनप रहा है कि अगर सांजीराम आरोपी है तो वो अपने घर के रास्ते में बच्ची के शव को क्यूं फेंकेगा। रसाना गांव के लोगों का कहना है कि अगर सांजी राम सहित अन्य लोग दोषी हों तो उन्हें सख्त सजा दो। लेकिन इसकी जांच सीबीआई से कराओ। क्योंकि क्राइम ब्रांच ने सिर्फ एक ही पक्ष की बात सुनी है। सीबीआई की जांच में यदि साबित हो तो वह लोग तैयार हैं। सांझी राम की बेटी मोनिका शर्मा का कहना है कि उसके भाई विशाल को पकड़ा लिया। उसके पिता को मास्टरमाइंड बना दिया। कौन पिता होगा जो अपने बेटे को कहेगा कि किसी मासूम से रेप कर दो। क्राइम ब्रांच ने मनगढ़ंत कहानी बनाकर उसके पिता को फंसा दिया। उसके पिता की बकरवाल परिवार से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। न ही कोई जमीन का विवाद था। यदि ऐसा होता तो बच्ची का परिवार 40 साल से यहां रहता आ रहा है। अगर कोई रंजिश होती भी तो बच्ची पे क्यों निकालते।
सभी तथ्य बताते हैं कि कठुआ केस की सच्चाई कुछ और है जो देश के सामने आई नहीं और शायद कुछ लोगों का सच्चाई छिपाने में लाभ हो सकता है। इस मामले को लेकर अभियानवादी शक्तियों, देशविरोधी ताकतों, हिंदुत्व विरोधी मानसिकता ने जिस तरह मिल कर शोर मचाया वह अपने आप में अबूझ पहेली है। अपनी वकील के बारे में बात करते हुए पीडि़ता के पिता ने कहा कि उन्होंने दीपिका सिंह राजावत को केस से इसलिए हटा दिया क्योंकि वो 110 में से सिर्फ दो बार अदालत के सामने पेश हुई थी और सिर्फ अपने बारे में सोचती थी। वो हमारी सुरक्षा की कम और अपनी सिक्योरिटी, गाड़ी की बात करती थी। यह वही दीपिका सिंह राजावत हैं जो टीवी पर चीख-चीख कर कहती थीं कि यह केस लेने के बाद उसे कई तरह की धमकियां मिल रही हैं। एक साल में ही पूरे ड्रामे की पोल खुलती दिख रही है परंतु दुखद बात यह है कि पीडि़ता बच्ची के अपराधी अभी अंजान हैं और बेकसूर जेलों में बंद हैं। लगता है कि पूरे मामले में कानून की आंखों में धूल झोंकी गई है।
- राकेश सैन
32 खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ लिदड़ां,
जालंधर।