नैन सिंह रावत वह वैज्ञानिक थे जिन्होंने रस्सी, थर्मामीटर के सहारे दुनिया में पहली बार न केवल तिब्बत का मानचित्र तैयार किया बल्कि ल्हासा की समुद्र तल से ऊंचाई बताई और उन्होंने ही दुनिया को बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी और चीन की स्वांग नदी एक ही है। 1830 में जन्मे नैन सिंह रावत की विद्वता का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है और गूगल ने आज 21 अक्तूबर 2017 को उनका डूडल भी बनाया है। यह पूरे भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।
नैन सिंह रावत (1830-1895) 19वीं शताब्दी के उन पण्डितों में से थे जिन्होने अंग्रेजों के लिये हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की। नैन सिंह कुमायूँ घाटी के रहने वाले थे। उन्होने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का मानचित्रण किया। उन्होने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति तथा ऊँचाई ज्ञात की और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग का मानचित्रण भी किया।
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सर्च इंजन गूगल ने नैन सिंह रावत का डूडल बनाया है, जिन्हें बिना किसी आधुनिक उपकरण के पूरे तिब्बत का नक्शा तैयार करने का श्रेय जाता है। |
पंडित नैन सिंह रावत का जन्म पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील स्थित मिलम गांव में 21 अक्तूबर 1830 को हुआ था। उनके पिता अमर सिंह को लोग लाटा बुढा के नाम से जानते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हासिल की लेकिन आर्थिक तंगी के कारण जल्द ही पिता के साथ भारत और तिब्बत के बीच चलने वाले पारंपरिक व्यापार से जुड़ गये। इससे उन्हें अपने पिता के साथ तिब्बत के कई स्थानों पर जाने और उन्हें समझने का मौका मिला। उन्होंने तिब्बती भाषा सीखी जिससे आगे उन्हें काफी मदद मिली। हिन्दी और तिब्बती के अलावा उन्हें फारसी और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था। इस महान अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार ने अपनी यात्राओं की डायरियां भी तैयार की थी। उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकतर समय खोज और मानचित्र तैयार करने में बिताया।
आज सर्च इंजन गूगल ने नैन सिंह रावत का डूडल बनाया है, जिन्हें बिना किसी आधुनिक उपकरण के पूरे तिब्बत का नक्शा तैयार करने का श्रेय जाता है। कहा जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के लोग भी उनका नाम पूरे सम्मान के साथ लेते थे। उस समय तिबब्त में किसी विदेशी शख्स के जाने पर सख्त मनाही थी। अगर कोई चोरी छिपे तिब्बत पहुंच भी जाए तो पकड़े जाने पर उसे मौत तक की सजा दी सकती थी। ऐसे में स्थानीय निवासी नैन सिंह रावत अपने भाई के साथ रस्सी, थर्मामीटर और कंपस लेकर पूरा तिब्बत नाप आए। दरअसल 19वीं शताब्दी में अंग्रेज भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे लेकिन तिब्बत का नक्शा बनाने में उन्हें परेशानी आ रही थी। तब उन्होंने किसी भारतीय नागरिक को ही वहां भेजने की योजना बनाई। जिसपर साल 1863 में अंग्रेज सरकार को दो ऐसे लोग मिल गए जो तिब्बत जान के लिए तैयार हो गए।
कहते हैं नैन सिंह रावत ही दुनिया के पहले शख्स थे जिन्होंने लहासा की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है, बताई। उन्होंने अक्षांश और देशांतर क्या हैं, बताया। इस दौरान करीब 800 किमी तक पैदल यात्रा की और दुनिया को ये भी बताया कि ब्रह्मापुत्र और स्वांग एक ही नदी है। रावत ने दुनिया को कई अनदेखी और अनसुनी सच्चाई रूबरू कराया।
- राकेश सैन
32 खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324
Nice post
ReplyDeleteNain Singh Rawat
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