Saturday, 28 October 2017

गुजरात चुनाव, आतंक के साए से आतंकित कांग्रेस

Congress Leader Sh. Ahmad Patel and Chief Minister Sh. Vijay Rupani

ठंड से ठिठुरते साधू ने झाड़ी में छिपे बैठे रीछ को कंबल समझ कर जफ्फी डाल ली, अब संतजी तो पीछा छुड़ावें पर मुआ कंबल ना छोड़े। यही हालत कांग्रेस की होती नजर आरही है। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कई बार आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर नर्म रवैया अपनाने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी जितना इससे पिंड छुड़ाती है उतनी ही फसती दिखती दिख रही है। गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए कुरुक्षेत्र सज चुका है और दो दिन पहले तक कांग्रेसी खेमा अति उत्साह में दिख रहा था परंतु वहां से आईएसआईएस के दो आतंकियों की गिरफ्तारी ने सारे उत्साह को काफूर कर दिया एहसास हो रहा है। एक गिरफ्तार आतंकी का संबंध गुजरात के सबसे कद्दावर कांग्रेसी नेता अहमद पटेल के अस्पताल से होने की बात सामने आते ही कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आई दिखती है। उसे अपना अतीत सताने लगा है जो कंबल की तरह उसे छोडऩे का नाम नहीं ले रहा। 


आतंकवाद की जांच में जुटीं राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने 25 अक्तूबर को सूरत से दो ऐसे संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है जिनका संबंध अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस (आईसिस) से जुड़ा बता रहे हैं। बात केवल यहीं तक सीमित रहती तो यह राजनीतिक रूप न लेती परंतु पकड़ा गया एक आतंकी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के खासमखास में शामिल सबसे कद्दावर गुजराती नेता अहमद पटेल के अस्पताल का कर्मचारी निकला तो मुद्दे ने राजनीतिक रूप ले लिया। कहने को तो वहां की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और खुद कांग्रेस आतंकवाद पर राजनीति न करने की दलीलें दे रही हैं परंतु चुनावों के चलते यह मुद्दा न उठे यह संभव नहीं लगता। अगर भाजपा गुजरात में इस मुद्दे की हवा बनाने में सफल हो जाती है कि वहां एक बार फिर नए सिले सिलाए सूट पेटी में पड़े रह सकते हैं। विधानसभा चुनावी शोरगुल में खोए गुजरात के सूरत से 25 अक्टूबर को एटीएस ने आतंकी संगठन आईएस के दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद अब आतंकियों के लेडी फ्रेंड्स का कनेक्शन भी सामने आ रहा है। एटीएस ने अहमदाबाद के खाडिय़ा इलाके में बम विस्फोट की योजना बनाने वाले दो आतंकियों को दबोचा था। पकड़े गए आतंकियों की पहचान कासिम टिंबरवाला और उबेद मिर्जा के तौर पर की गई है, दोनों आतंकी खाडिय़ा में धार्मिक स्थल को निशाना बनाने वाले थे। जिसके लिए इनकी ओर से यहूदियों के आराधना स्थल की रेकी करने की बात भी सामने आ रही है। तो वहीं संदिग्ध आतंकी कासिम को लेकर खबर है कि वह अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में काम करता था, जबकि ओबेद मिर्जा सूरत में वकील के रूप में प्रेक्टिस कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां के सामने आतंकियों ने आतंकी साजिश के बड़े राज खोले हैं, सूरत पुलिस ने आतंकियों से पूछताछ के बाद कई बड़े खुलासे किए। खुलासे के दौरान आतंकियों का तीन महिलाओं से कनेक्शन भी सामने आया है। एक महिला गिरफ्तार आतंकी कासिम की गर्लफ्रेंड है जबकि दूसरी महिला शाजिया कासिम की दोस्त है। शाजिया पहले भी पकड़े गए कुछ आतंकियों की बांग्लादेश सीमा के जरिए भगाने में मदगार रह चुकी है, जबकि तीसरी महिला एयर होस्टेस है जो आतंक की फंडिग के लिये तस्करी करती थी। पुलिस की मानें तो दोनों आतंकी पश्चिमी देशों में हुए कई हमलों की तर्ज पर यहां भी लोन वुल्फ हमलों को अंजाम देने की फिराक में थे। लोन वुल्फ हमलों में अक्सर कोई बड़ा रैकेट नहीं होता। आतंकी इसे अपने स्तर पर ही अंजाम देते हैं। लिहाजा इन्हें रोकना ज्यादा कठिन होता है। माना जा रहा है कि दोनों संदिग्ध अगले कुछ दिनों में ये हमला करने वाले थे।

इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की यह एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि कही जा सकती है। एनआईए साल 2014 से ही इन आतंकियों पर नजर रख रही थी। सोशल मीडिया से लेकर संचार के हर साधन पर नजर रखी जा रही थी। आतंक के इसी नेटवर्क से जानकारी लेकर ही एनआईए ने अगस्त 2016 को कोलकाता से 4 युवाओं को गिरफ्तार किया जो बांग्लादेश के रास्ते आईसिस में भर्ती होने के लिए सीरिया जाने वाले थे। एनआईए की 14 पृष्ठीय प्राथमिकी में बताया गया है कि एक आरोपी वसीम टिंबरवाला अपनी फेसबुक पर युवाओं को मार्ग भटकाने व आईसिस के लिए भर्ती का काम कर रहा था। एनआईए ने इस संबंध में उसके सोशल मीडिया के रिकार्ड को भी पेश किया है।

चिंताजनक बात यह है कि सूरत में चैरिटी बेस पर चलने वाले सरदार पटेल हॉस्पीटल एंड हार्ट इंस्टीच्यूशन जो गुजरात कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल से जुड़ा है में इनको नौकरी पर रखते समय कोई पड़ताल नहीं की गई। अहमद पटेल इस अस्पताल से 1979 से ही ट्रस्टी के रूप में जुड़े हैं, चाहे उन्होंने 2014 में त्यागपत्र दे दिया परंतु अब भी वे अस्तपाल के मुख्य कर्ताधर्ताओं में प्रमुख हैं। इसका उदाहरण है कि अस्पताल का विस्तारण करने के लिए साल 2016 में देश के राष्ट्रपति प्रणब मखर्जी अस्पताल आए तो सारे समारोह में अहमद पटेल ही प्रम्मुख के रूप में दिखाई दिए। 

देश की गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनालाइसिस विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी आरके यादव कई बार ट्वीट कर अहमद पटेल पर रॉ को कमजोर करने, रिश्वतखोरी से नियुक्तियां करने के आरोप लगाते रहे हैं। चाहे इन आरोपों को प्रथमदृष्टि में सही नहीं माना जा सकता परंतु न तो कभी कांग्रेस और न ही खुद अहमद पटेल ने इनका खण्डन किया।  आतंकवाद पहले ही कांग्रेस पार्टी का मर्मस्थल रहा है और अब पटेल काण्ड ने इस कमजोर अंग की संवेदना को और भी बढ़ा दिया है। साल 2010 में हुए बाटला मुठभेड़, गुजरात में हुए इशरत जहां आतंकी मुठभेड़ में आतंकियों के प्रति नरम रुख रखने, आतंकियों की फांसी पर मातम मनाने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जबरन आतंकवाद के साथ जोडऩे, कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन को आदरसूचक शब्दों से संबंधित करने जैसे अतीत में कई आरोप कांग्रेस पर लगते रहे हैं। इन आरोपों के चलते कांग्रेस को न केवल वैचारिक रूप से मुंह की खानी पड़ी बल्कि राजनीतिक नुक्सान भी झेलने पड़े।

आज कांग्रेस को अपना अतीत फिर डराने लगा है। विगत लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद हार के कारणों को जांचने के लिए गठित पार्टी की एके एंटनी जांच समिति बता चुकी है कि कांग्रेस के हिंदुत्व विरोदी रवैये व अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के चलते यह दिन देखने पड़े। आतंकवाद के मसले पर गुजरात अत्यंत संवेदनशील प्रदेश माना जाता है। यहां पर अतीत में भी परवेज मुशर्रफ, पाकिस्तान को लव लेटर, आतंकियों को बिरयानी, मौत का सौदागर जैसे मुद्दे निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं और अब भाजपा के पास फिर वैसा ही मुद्दा हाथ लग गया है जो कांग्रेस को परेशानी में डाल सकता है। 

- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा, 
जालंधर।
मो. 097797-14324

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