17 अक्तूबर को जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह केरल में सीपीआईएम के कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के खिलाफ रक्षा यात्रा का समापन कर रहे थे तो उसी समय पंजाब में एक स्वयंसेवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। दो दशक पहले आतंकवाद का सामना कर चुके देश के सीमावर्ती राज्य में संघ कार्यकर्ता की यह कोई पहली हत्या नहीं। आतंकवाद के दौर के समय मोगा गोलीकांड व राज्य के अनेक हिस्सों में कार्यकर्ताओं की हत्याओं को एक तरफ कर भी दें तो भी संघ व राष्ट्रवादी विचारधार के लिए राज्य की स्थिती भयावह तस्वीर पेश करती है। राज्य में सवा साल में संघ के कार्यकर्ता की यह दूसरी हत्या है और अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की हत्या व रहस्यमयी मौत, नामधारी संप्रदाय की माता चंद कौर को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा खासी चिंता पैदा करता है और सवाल पैदा करता है कि क्या पंजाब दूसरा केरल बनने की राह पर है? रोचक तथ्य है कि अधिकतर हत्याएं लुधियाना जिले में हुई हैं। जिस तरह केरल का कन्नूर जिला इस तरह की हत्याओं के लिए कुख्यात है उसी तरह पंजाब का लुधियाना जिला भी कन्नूर बनता दिखाई दे रहा है।
पिछले साल अगस्त महीने की 6 तारीख को जालंधर के ज्योति चौक पर अज्ञात हमलावरों ने संघ के पंजाब प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा को गोलियां मारीं और लगभग एक माह के लंबे संघर्ष के बाद वे चल बसे। पंजाब सरकार ने इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द किया परंतु अभी तक हत्यारों का कोई सुराग नहीं लग पाया है। इसी तरह पिछले वर्ष ही लुधियाना की ही एक शाखा पर हमला हो चुका है जिसे पुलिस ने स्थानीय अपराधियों की कार्रवाई बता कर पल्ला झाड़ लिया। इसी साल लुधियाना के जगराओं इलाके में हिंदू तख्त के नेता अमित कुमार की भी हत्या कर दी और इस घटना के हत्यारे भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। लुधियाना के ही भैणी साहिब में अप्रैल 2016 में अज्ञात हमलावरों ने नामधारी संप्रदाय की धार्मिक हस्ती माता चंद कौर की हत्या कर दी। नामधारी संप्रदाय सदैव आतंकियों व अलगाववादियों के निशाने पर रहा है क्योंकि यह संप्रदाय अपने आप को हिंदू धर्म के नजदीक मानता है और आतंकवाद का विरोध करता आया है। इसी साल जनवरी महीने में लुधियाना में ही हिंदू तख्त के जिला प्रचारक अमित कुमार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर शहीद कर दिया। इसी महीने जालंधर में बलर्टन पार्क की शाखा के मुख्य शिक्षक किशोर कुमार को रेलवे लाइनों पर रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाया गया और परिवार ने पुलिस उच्चाधिकारियों से मिल कर उसकी हत्या की आशंका जताई है।
 |
सीसीटीवी कैमरे में कैद हत्यारे |
इन सभी हत्याओं में बहुत सी समानताएं हैं। पहले तो लगभग सभी हत्याएं बड़ी योजनाबद्ध तरीके से की गई हैं और हत्यारों की शैली भी काफी मिलती जुलती है। जिन लोगों की हत्याएं हुई हैं वे राज्य में आतंकवाद के प्रखर विरोधी व राष्ट्रीय एकता और पंजाब में सांप्रदायिक सौहार्द के समर्थक रहे हैं। हत्यारों के पकड़े जाने तक चाहे कुछ नहीं कहा जा सकता परंतु अनुमान लगाया जा रहा है कि इन हत्याओं के पीछे उन शक्तियों को हाथ हो सकता है जो पंजाब को झुलसते देखना चाहती हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि आतंकवाद समाप्त होने के बावजूद राज्य में आतंक व आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले बहुत से लोग अभी भी हैं। राज्य के मीडिया के एक वर्ग, सोशल मीडिया पर होने वाला विषाक्त प्रचार इसका प्रमाण है कि शरारती तत्व अपना काम जारी रखे हुए हैं। लुधियाना की ही पुलिस ने इसी महीने एक खालिस्तानी आतंकियों के गिरोहा का पर्दाफाश किया जिसमें खुलासा हुआ कि विदेशों में बैठे देशविरोधी तत्व सोशल मीडिया से हमारे युवाओं के भ्रमित कर रहे हैं। फिलहाल रविंद्र गोसाईं की हत्या के पीछे जमीन विवाद होने की आशंका भी जताई जा रही है परंतु यह जानकारी पुष्ट नहीं। लेकिन इस घटना के बाद एक सवाल तो पैदा हो ही गया है कि क्या पंजाब केरल बनने की राह पर अग्रसर है ? - राकेश सैन
No comments:
Post a Comment