Tuesday, 26 December 2017

साहिबजादों की धरती पर जहरीला प्रचार

पंजाब सहित पूरे देश में पिछली सदी से खून और दरिंदगी का खेल खेलते आरहे खालिस्तानी आतंकियों को बुरहान वाली के रूप में नया हीरो मिल गया है। चोर-चोर मौसेरे भाई, उसी हिसाब से आतंकी-आतंकी भाई-भाई। यहां फतेहगढ़ साहिब में चल रहे शहीदी जोड़ मेले में आतंकवादी बुरहान वानी का महिमामंडन करने वाला खूब साहित्य बेचा जा रहा है। खेद की बात है कि आतंकवाद का महिमामंडन गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्र फतेह सिंह व जोरावर सिंह की शहादत वाली उस सरजमीं पर किया जा रहा है जहां गुरु पुत्रों ने अपने समय के आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

सोमवार से शुरु हुए शहीदी जोड़ मेले में इस तरह की देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। फतेहगढ़ साहिब के रोजा शरीफ के पास शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लगाई गई स्टाल पर 'वंगार' नामक पत्रिका बेची जा रही है। इस पत्रिका में पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी संगठन दल खालसा के आतंकी गजिंद्र सिंह व बलजीत सिंह नामक लेखक के लेख प्रकाशित हुए हैं। इनमें अगस्त 2016 में जम्मू-कश्मीर में मारे गए लश्कर के आतंकी बुरहान वानी को नायक के रूप में पेश किया गया है जो कथित आजादी के लिए संघर्ष करते हुए शहीद (?) हुआ। पत्रिका में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों जगतार सिंह हवारा की रिहाई की बात भी कही गई है। इस स्टाल पर केवल यही पत्रिका नहीं बल्कि खालिस्तान के अन्य आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाला एंड पार्टी को नायक बताने वाला साहित्य, स्टीकर, टी-शट्र्स भी सरेआम बेचे जा रहे हैं।

वैसे पाकिस्तान और खालिस्तानी आतंकियों के संबंध किसी से छिपे नहीं है। पिछली सदी में खून और खाक का जो खेल खेला गया था वह पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई द्वारा ही संचालित था। यह एजेंसी खालिस्तानी आतंकियों को हथियार, गोला-बारूद, नशीले पदार्थ उपलब्ध करवाती रही है। वर्तमान में भी बहुत से खालिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं और हाफिज सईद के जबरदस्त दबाव में उसी की बोली बोलने को मजबूर हैं। पंजाब में पिछले दो सालों से जो लक्षित हत्याएं हो रही हैं उनके पीछे भी यही अपवित्र गठजोड़ काम कर रहा है।

प्रश्न पैदा होता है कि जब राज्य में इस तरह का सरेआम देशविरोधी दुष्प्रचार हो रहा है तो हमारी गुप्तचर एजेंसियां व सरकार क्या कर रही है। यह कोई पहला अवसर नहीं है कि जब धार्मिक मेलों में इस तरह जहरीला साहित्य बेचा जा रहा हो। अमृतसर स्थित दरबार साहिब, तलवंडी साबो लगने वाले बैसाखी के मेले, माघी मेले व अन्य धार्मिक आयोजन इस तरह के साहित्य को बेचने के बड़े अवसर माने जाते हैं। पंजाबी के बहुत से पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं जो धड़ल्ले से इस जहरीले प्रचार को अपनी प्रिय प्रकाशन सामग्री मानती हैं। रोचक बात है कि इन पत्र-पत्रिकाओं को सरकारी विज्ञापन भी जारी किए जाते हैं। केवल इतना ही नहीं विदेशों में प्रकाशित होने वाला खालिस्तानी साहित्य तैयार भी पंजाब के विभिन्न प्रकाशन समूहों में होता है और इसके लिए बहुत भारी भुगतान किया जाता है। राज्य में हाल ही में हुई आतंकियों की गिरफ्तारियों के बाद सरकार का ध्यान सोशल मीडिया पर तो गया परंतु प्रिंट मीडिया की ओर सरकारें आंखें मूंदने में ही भलाई समझती रही हैं।
लक्षित हिंसाओं के चलते राज्य का वातावरण वैसे भी तनावपूर्ण बना हुआ है। राज्य में पिछले लगभग डेढ़ सालों में एक दर्जन से अधिक नेता इन घटनाओं में शहीद हो चुके हैं और समय-समय पर गुप्ताचर एजेंसियां भी सरकार को सचेत करती रहती हैं कि खतरा अभी टला नहीं है। ऐसे वातावरण में इस तरह का विस्फोटक साहित्य राज्य के हालातों को और बिगाड़ सकता है। संतोष की बात है कि राज्य में सत्तारूढ़ कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाती रही है परंतु भविष्य में उसे अपने आंख-कान खुले रखने होंगे। शहीदी जोड़ मेले में जहरीला साहित्य बिकने से संकेत गया है कि सरकार से इस मामले में चूक हुई है। यह मुख्यमंत्री का दायित्व बनता है कि वह इस तरह के समाज विरोधी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि भविष्य में इसका दोहराव न हो।
- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324

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