पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को देख एक गाना याद आता है, 'शरीफों का जमाने में हाल जब देखा कि शराफत छोड़ दी मैंने।' एक नवाज शरीफ ही नहीं, पूरा पाकिस्तान ऐसे कथित शरीफों से भरा पड़ा है जिनकी शराफत से दुनिया परेशान है। सेना से लेकर राजनीति, यहां तक कि आईएसआई और आतंकी तंजीमों में शरीफों का ही बोलबाला है। वहां एक खोजो हजार शरीफ यों ही मिल जाएंगे। सुनने में आ रहा है कि 'सर्जिकल स्ट्राइक' के बाद शरीफ मियां भारत से कहीं •यादा खुद पर बौखलाए हुए हैं। झुंझलाहट इसलिए, क्योंकि भारत ने शराफत छोड़ दी। इस परेशानी को कम करने के लिए मियां रात-दिन भारत को गरिया रहे हैं। जैसे खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचने की कोशिश करती है न, ठीक वैसा ही हाल मियां नवाज शरीफ का है। ग जब तो यह है कि खुद उनकी जनता अब उनकी शराफत को आड़े हाथों ले रही है। सड़कों पर उतरकर कह रही है—मियां आतंकी अड्डे बंद करवाओ, नहीं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहो।
मियां शरीफ भयंकर मुसीबत में फंसे हैं, सर्जिकल स्ट्राइक का दर्द न निगलते बन पा रहा है, न उगलते। दुनिया भर में जिस भी कंधे पर सिर रख कर अपना दुखड़ा सुनाने का प्रयास करते हैं, वो ही ताड़ से झिड़क देता है। सुना है, यूएन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर का •िाक्र आते ही उनके बंदे को अच्छी-खासी डांट पिला दी। मियां शरीफ की पो•ाीशन 'जाएं तो जाएं कहां' वाले गाने वाली हो गई है। यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि मियां को अब जन्नत व हूरों से कहीं •यादा सपने सर्जिकल स्ट्राइक के आते होंगे। रात-दिन यही डर सताता रहता होगा कि कहीं भारत फिर से दबे-पांव पाकिस्तान की सर्जरी करके न चला जाए। अरे वो तो थोड़ी-बहुत राहत उन्हें हमारे यहां के 'खानदानी टाईप राष्ट्रीय नेता' व एक 'ईमानदार मुख्यमंत्री जी' ने उनका रहनुमा बन कर दे दी वरना तो पूरा भारत अपने वीर सैनिकों और सेना पर गर्व कर रहा है। जिन्हें गर्व नहीं हो रहा, वे बेचारे रात-दिन विचार, विचारधारा, वैचारिकता का झंडा लिए यहां-वहां टहल रहे हैं। चलिए खैर, सर्जिकल स्ट्राइक के बहाने मियां शरीफ की कथित शराफत दुनिया के सामने तो आई। अब हमारे वार पर पाकिस्तान या उनकी सेना रोती रहे, हमें क्या। 'जैसे को तैसा' इसे ही तो कहते हैं। क्या समझे मियां नवाज शरीफ।
पाकिस्तान का 'बैड लक' यह है कि वह भारतीयों के इतिहास को भूलता रहा है। शरीफ साहिब! घर में घुस कर मारने में हम से बड़ा कोई चैंपियन नहीं। शायद आपकी अम्मी ने बचपन में कहानी सुनाई होगी कि हमारे हनुमान जी ने लंका में घुस कर रावण के बेटे अक्षय कुमार, सैंकड़ों राक्षसों को मारा और उसकी सोने की लंका को राख कर दिया था। शरीफ साहिब, हमारे पृथ्वीराज चौहान ने अंधे होते हुए भी उस समय के आततायी मोहम्मद गौरी को उसके दरबार में घुस कर मारा था। जब पृथ्वीराज को गौरी के सामने लाया गया तो उसके दरबारी कुछ उसी तरह हंस रहे थे जिस तरह भारत में आतंकी हमलों के बाद आपके पाकिस्तान में बैठे आतंकी खिलखिलाते हैं। लेकिन सिंहासन पर बैठे हुए गौरी पर ज्यों ही पृथ्वीराज चौहान ने स्वरभेदी बाण मारा तो वह रेत की दीवार की भांति भरभरा कर गिर पड़ा। यह देश उसी पृथ्वीराज के वंश का है।
शरीफ साहिब! हमारी बहादुरी की दासतां यहीं समाप्त नहीं होती। मु$गलकाल में मस्सा रंगड़ नाम के चौधरी ने हमारे प्राणों से प्यारे हरिमंदिर साहिब को अय्याशी का अड्डा बना दिया था। स्वर्ण मंदिर में सुरा-सुंदरी, तंबाकू का खुल कर प्रयोग होने लगा। हमारा समाज खामोश था, परंतु आप जैसों ने कम•ाोर समझ लिया। हमारे वीर सिंह सूरमा सुक्खा सिंह व महताब सिंह स्वर्ण मंदिर में घुस कर उस अत्याचारी का सिर काट लाए। इस तरह के लोग हैं हम भारतीय।
गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह के शब्दों में 'पहले हम छेड़ते नहीं और बाद में छोड़ते नहीं।' पाकिस्तान के साथ-साथ भारत का भी भला भी इसी में है कि आप सही अर्थों में शरीफ बनें। हम आपके शत्रु नहीं परंतु यह संबंध आप पर निर्भर करता है कि आप हमसे मित्रता चाहते हैं या शत्रुता। भारत दोनों के लिए तैयार है। आप नाम के शरीफ हैं और हम कर्म के परंतु हमारी शराफत इसी पर निर्भर है कि भविष्य में आप हम से किस तरह से पेश आते हो।
- राकेश सैन
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जालंधर।
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