Sunday, 3 January 2021

संत बाबा राम सिंह जी के देहांत से उपजे सवाल

नए कृषि सुधार कानून को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद के बीच आदरणीय संत बाबा राम सिंह जी का गोली लगने से देहावसान हो गया। दिल्ली के साथ लगते सिंघु बार्डर पर किसानों के धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने किसानों के समर्थन में कथिततौर पर खुद को गोली मार ली। घायल अवस्था में उन्हें पानीपत के निजी अस्पताल में ले जाया गया था, जहां पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाद में करनाल के सरकारी अस्पताल में पुलिस ने 174-ए के तहत कार्रवाई करते हुए पोस्टमार्टम करवाया।

संत बाबा राम सिंह जी का डेरा हरियाणा के करनाल जिले में निसंग के पास सिंगड़ा गांव में है। दुनिया भर में उन्हें सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से ही जाना जाता रहा है। बाबा राम सिंह पंजाब और हरियाणा के अलावा विश्वभर में प्रवचन करने के लिए जाया करते थे। संत बाबा राम सिंह नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे और संप्रदाय में संत बाबा राम सिंह का बहुत ऊंचा स्थान था। दावा किया जा रहा है कि जब से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी उस समय से ही बाबा राम सिंह किसान आंदोलन से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी हासिल कर रहे थे। उनके आसपास रहने वाले उनके शिष्यों के मुताबिक बाबा किसान आंदोलन को लेकर काफी दुखी रहते थे। दावा किया जा रहा है कि इसी दुख के चलते बाबा जी ने कथिततौर पर आत्महत्या कर ली। दावे के अनुसार, संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारने से पहले डायरी में एक नोट लिखा। इस नोट में उन्होंने लिखा, 'मैंने किसानों का दुख देखा है। अपने हक के लिए उन्हें सड़क पर इस तरह से देखकर मैं काफी दुखी हूं। सरकार किसानों को न्याय नहीं दे रही है, जो कि जुल्म है। जो जुल्म करता है वह पापी है और जो जुल्म सहता है वह भी पाप का भागी है। किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने किसानों पर हो रहे जुल्म के लिए कुछ न कुछ किया है। किसी ने पुरस्कार वापस कर सरकार को अपना गुस्सा दिखाया है। सरकार के इस जुल्म के बीच सेवादार आत्मदाह करता है। यह जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह।'

पुलिस एवं जांच कर रही टीमों ने आत्महत्या को लेकर अहम बातें उजागर की हैं। बाबा राम सिंह के बारे में बताया गया है कि, उन्होंने खुद की कनपटी पर गुरुद्वारे के सेवादार की पिस्तौल से कथिततौर पर गोली मारी थी। पुलिस ने वो पिस्तौल बरामद भी कर ली है। इसके अलावा पुलिस ने डायरी-पैन खोज निकाले हैं और बाबा के कथित सुसाइड नोट के पेज का डायरी की लिखाई से मिलान किया गया है। पुलिस का कहना है कि, आवश्यकता पडऩे पर इसकी फॉरैंसिक जांच भी करवाई जा सकती है। अभी तक यह स्पष्ट हो गया है कि, जिस पिस्तौल की गोली बाबा की कनपटी पर लगी वो उनके गुरुद्वारा के एक सेवादार की पिस्तौल है। उसका लाइसेंस सेवादार के नाम पर ही है। मामले की गहराई से जांच चल रही है और सही स्थिति का पता पूरी जांच के बाद होगा परंतु सामान्य दिखने वाली इस घटना ने अपने पीछे इतने सवाल छोड़ दिए हैं जिनका उत्तर मिले बिना घटना की पूरी सच्चाई का सामने आना असंभव सा लगता है।

साधारण सी बात है कि गोली लगने के बाद गंभीर रूप से घायल बाबा राम सिंह जी को सिंघू सीमा से ईलाज के लिए घटनास्थल से 60-65 किलोमीटर दूर पानीपत क्यों ले जाया गया। उन्हें पास ही दिल्ली के किसी अस्पताल ले जाया जा सकता था और पानीपत लाते हुए रास्ते में सोनीपत में भी उनको किसी अस्पताल में भर्ती करवाया जा सकता था। सवाल पैदा होता है कि यह चूक अकास्मात हुई या फिर किसी सोची समझी साजिश के तहत ? आखिर कौन चाहता होगा कि गंभीर रूप से घायल बाबा जी को तत्काल चिकित्सा उपलब्ध न हो ? क्या उसे डर सता रहा होगा कि अगर बाबा जी के प्राण बच गए तो उसके खुद के प्राण सांसत में फंस जाएंगे ?

संदेह इस बात से भी पैदा होता है कि घटना के तत्काल बाद इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को क्यों नहीं दी गई ? बताया जाता है कि पुलिस के एक घंटे के बाद इसकी सूचना मिली। पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो वहां कुछ नहीं मिला, बाबाजी को अस्पताल ले जाया जा चुका था और वहां उन्हें मृत घोषित किया जा चुका था। पुलिस को घटनास्थल से वह कार भी नहीं मिली जिसमें बाबाजी को गोली लगने का दावा किया जा रहा था और मौके से वह पिस्तौल भी नदारद थी। क्या सबकुछ सोची समझी सााजिश के तहत हुआ का संदेह पैदा होना स्वभाविक ही है। प्रश्न है कि बाबाजी की कथित आत्महत्या या संदिग्ध मौत के मौके से सबूत किसने मिटाए होंगे ?
तीसरा सवाल है कि कोई भी व्यक्ति खुद को गोली मार कर पिस्तौल गायब नहीं कर सकता, तो इस घटना में प्रयुक्त पिस्तौल घटनास्थल से किसने गायब की। उसका क्या उद्देश्य रहा होगा ? यह प्रश्न भी अनुत्तरित है कि बाबाजी को घायल अवस्था में पहले किसने देखा ? बाबाजी सदैव अंगरक्षकों व सेवादारों से घिरे रहते थे, कार में उनके साथ और कौन था ? अगर कोई था तो उसने बाबाजी को ऐसा करने से रोका क्यों नहीं ? उसने बाबाजी को कथिततौर पर आत्महत्या करते देखते समय शोर क्यों नहीं मचाया ? वह व्यक्ति कथित आत्महत्या के बाद मौके से फरार क्यों हुआ ? पिस्तौल क्यों और कैसे गायब की गई ?

सोशल मीडिया पर संत राम सिंह की आत्महत्या की खबरों के साथ-साथ एक अमरजीत कौर नामक नर्स की ऑडियो वायरल हुई। इसमें नर्स एक पंजाबी न्यूज चैनल को बता रही हैं कि वह लंबे समय से बाबा संत राम से जुड़ी हुई थीं। ये जो खबर आ रही है कि बाबा ने खुद को गोली मारी वो गलत है। वह कहती हैं कि बाबा खुद को गोली मार ही नहीं सकते। इसके अलावा जो बाबा के नाम पर सुसाइड नोट जारी किया गया है, वह उनका नहीं है। यह उनकी लिखावट नहीं है। वह कहती हैं कि जो व्यक्ति सब को डटे रहने की सलाह देता हो, वो खुद को मार ही नहीं सकता। अमरजोत के इस दावे के बाद लोगों का पूछना है कि यदि सुसाइड नोट में लिखावट बाबाजी की नहीं है तो इस बात की कैसे पुष्टि होगी कि उन्होंने आत्महत्या की या फिर उन्हें मारा गया? सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब संत आत्महत्या जैसा अपराध कर ही नहीं सकते थे तो कहीं ये किसी की कोई साजिश तो नहीं?

बताया जाता है कि पानीपत में बाबाजी के देहांत के बाद उनकी पार्थिव देह को पहले उनके डेरे ले जाया गया और उसके बाद पोस्टमार्टम के लिए। इसे संयोग कहा जाए या कोई षड्यंत्र ? बताया जाता है कि बाबा राम सिंह जी प्रखर राष्ट्रभक्त थे और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में भी आते जाते रहे हैं और इसी कारण खालिस्तानियों व कट्टरपंथियों की आंख में खटते रहे हैं। बता दें कि कठमुल्ला सिख संगठन डेरों के प्रबल विरोधी हैं और इनमें आपसी खानाजंगी इस कदर है कि एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। पंजाब व हरियाणा में अनेक सिख संत, प्रचारक, रागी,ढाडी, कथावाचक, डेरा संचालक अपने आप को श्रेष्ठ सिख साबित करने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाते रहते हैं और इनकी यही प्रतिस्पर्धा कई बार हिंसक टकराव में भी बदलती रही है। इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरह कठमुल्ला सिख भी कई सिख संप्रदायों को सिख तक नहीं मानते और परस्पर तितर-बटेरों की भांति आपस में उलझे रहते हैं। बाबा राम सिंह जी केवल सिख ही नहीं बल्कि समस्त समाजों के लिए सम्मानित संत थे और उनके देहांत की सच्चाई देश के सामने लाने के लिए पुलिस प्रशासन को हर पक्ष से जांच करनी होगी।

- राकेश सैन
32 खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
ग्राम एवं डाकखाना लिदड़ां
जालंधर।
संपर्क - 77106-55605

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