Thursday, 23 September 2021

डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व कार्यक्रम का

दुनिया भर में विरोध

हिन्दू विरोधी शक्तियों द्वारा आयोजित डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व कार्यक्रम का विरोध भी वैश्विक स्तर पर हो रहा है। भारत की कम्युनिस्ट और साम्यवादी विचारधारा के कट्टर समर्थक कविता कृष्णन, आनंद पटवर्धन, नलिनी सुंदर, नेहा दीक्षित, मीना कंदासामी आदि कई वक्ता इस कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं। सूचना प्रद्योगिकी, पत्राचार, ऑनलाइन पटीशन, हैशटैग आदि विभिन्न माध्यमों से लाखों लोगों ने इस कार्यक्रम का विरोध करते हुए इस पर रोक की मांग की है। कार्यक्रम के विरोध में पूरी दुनिया के हिन्दू एक स्वर में बोलते दिखाई दे रहे हैं।
एक प्रमुख अमेरिकी राज्य सीनेटर ने डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व सम्मेलन की मेजबानी की कड़ी निंदा की है और इसे हिंदू विरोधी सभा के रूप में कहा है, वहीं हिंदू अधिकारों के हिमायती संगठन हिंदू अमेरिकन फाउंडनेशन ने उन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से जवाब मांगा है जिनके इस कार्यक्रम को सपोर्ट करने के दावे किए गए हैं। इसके अलावा ओहियो स्टेट के सीनेटर नीरज अंतानी ने एक बयान में कहा, यह सम्मेलन संयुक्त राज्य भर में हिंदुओं पर एक घृणित हमले का प्रतिनिधित्व करता है, और हम सभी को इसकी निंदा करनी चाहिए। यह हिंदुओं के खिलाफ नस्लवाद और कट्टरता के अलावा और कुछ नहीं है। मैं हमेशा हिंदूफोबिया के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहूंगा।
दरअसल अंतानी संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में सबसे कम उम्र के हिंदू निर्वाचित अधिकारी हैं और ओहियो इतिहास में पहले भारतीय अमेरिकी राज्य सीनेटर हैं। 10-12 सितंबर के सप्ताहांत पर आयोजित होने वाले, डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व के आयोजकों ने कहा है कि वे गुमनाम रहना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने कई प्रतिष्ठित वक्ताओं और शिक्षाविदों के नाम सार्वजनिक किए हैं जो इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
वहीं इस सम्मेलन से नाराज उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं ने विश्वविद्यालयों, शिक्षाविदों और विभिन्न हितधारकों को सम्मेलन के खिलाफ 3,50,000 से अधिक ई-मेल लिखे हैं। वहीं इस इमेल पर रटगर्स विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जोनाथन होलोवे ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि सम्मेलन के आयोजकों द्वारा विश्वविद्यालय के लोगो का इस्तेमाल किया जा रहा था।
हिन्दुओं के संगठन सीओएचएलए ने एक बयान में कहा, यह सम्मेलन हिंदुओं को गलत तरीके से चित्रित करता है, हिंदू लोगों के नरसंहार को सक्रिय रूप से नकारता है, और सबसे अधिक परेशान करने वाला, हिंदुत्व के रूप में असहमत होने वालों को लेबल करता है, जिसे सम्मेलन के आयोजक हिंदू चरमपंथ के रूप में परिभाषित करते हैं। सम्मेलन में हिंदुत्व उत्पीडऩ फील्ड मैनुअल को एक आधिकारिक संसाधन के रूप में पेश किया गया है जो स्पष्ट रूप से कहता है कि हिंदुओं ने कभी भी पूरे इतिहास और वर्तमान समय में व्यवस्थित उत्पीडऩ का सामना नहीं किया है। यह संसाधन इस बात से भी इनकार करता है कि हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह के कारण कभी भी हताहतों की संख्या ज् भयानक पैमाने पर हुई है।
अमेरिका एवं कनाडा में कुल 150 हिन्दुत्व का कार्य करने वाले संगठनों, मंदिरों एवं आध्यात्मिक संगठनों ने, 40 विश्वविद्यालयों को एक निवेदन भेजकर उनसे इस सम्मेलन का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। परिषद के सह-प्रायोजक होने वाले इन विश्वविद्यालयों में पढने वाले अनेक छात्रों, उनके माता-पिता एवं पूर्व छात्रों ने भी विश्वविद्यालयों को 1 लाख से अधिक ई-मेल भेजकर इस हिन्दुत्व-विरोधी परिषद का विरोध किया है। विश्वविद्यालयों को पत्र भेजने वाले इन सभी संगठनों का समन्वय ‘उत्तरी अमेरिका के हिन्दुओं के गठबंधन’ द्वारा किया है । इस निवेदन के हस्ताक्षरकर्ता हिन्दू मंदिरों, राष्ट्रीय स्तर के संगठनों, विभिन्न हिन्दू धार्मिक संगठनों एवं स्थानीय सांस्कृतिक मंडलों के सदस्य हैं। वे अमेरिका में रहने वाले सहस्रों हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । इस निवेदन की एक प्रतिलिपि कानूनी विशेषज्ञ व्यक्तियों को भेजी जाएगी। इस संदर्भ में ‘उत्तरी अमेरिका के हिन्दुओं के गठबंधन’ के अध्यक्ष निकुंज त्रिवेदी ने कहा, अमेरिका एवं कनाडा के 150 हिन्दू संगठनों द्वारा निवेदन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह यहां रहने वाले हिन्दुओं का क्षोभ दर्शाता है। इस अभियान में अनेक स्थानों से हिन्दू सहभागी हुए थे तथा हिन्दुत्व के संबंध में पूर्वाग्रह से ग्रसित एवं हिन्दुओं को ‘चरमपंथी विचारधारा का प्रचारक’ बताकर, हिन्दुत्व की आवाज दबाने के हिन्दुद्वेषियों के प्रयासों से चिंतित हैं।
हिंदू जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर राज्य संगठक शंभू गवारे बताते हैं कि इसके साथ ही इसमें विश्व के 40 से अधिक विद्यापीठ भी सहभागी होंगे, ऐसा दावा आयोजकों ने किया है। परंतु पूर्ण विश्व के हिंदुओं के तीव्र विरोध के कारण इनमें से अनेक विद्यापीठों ने ‘हमारा इस कार्यक्रम से कोई भी संबंध नहीं’, ऐसा घोषित कर इस कार्यक्रम से पल्ला झाड़ लिया है। इस विश्वव्यापी आंदोलन में 13 देश, 23 राज्य और 400 गांवों के हिंदू सहभागी हुए हैं। इसके साथ ही इस आंदोलन के अंतर्गत 44 स्थानों पर प्रत्यक्ष तथा 206 स्थानों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ‘ऑनलाइन’ निवेदन भेजे गए हैं। इस आंदोलन में हिंदू जनजागृति समिति सहित पूरे देश के 32 से अधिक हिंदुत्वनिष्ठ संगठन और हिंदू धर्माभिमानी सहभागी हुए। धनबाद में इस विषय में उपायुक्त को निवेदन दिया गया।
इस कार्यक्रम द्वारा रचा जा रहा षड्यंत्र सामने लाने के लिए हिंदू जनजागृति समिति ने ‘हिंदू विरोधी प्रचार का वैश्विक षड्यंत्र’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद आयोजित किया। इसमें इंग्लैंड के हिंदू दार्शनिक और भारतीय संस्कृति के अध्यापक पंडित सतीश शर्मा ने कहा कि पहले जिन ईसाईयों और कम्युनिस्टों ने पूरे विश्व में बड़ी संख्या में नरसंहार किया, उन्हें अब सत्य इतिहास सामने आने का भय सताने लगा है। यूरोप और अमेरिका में लोग अब योग, आयुर्वेद के अनुसार आचरण कर हिंदू संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसीलिए ‘डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ यह हिंदू विरोधी परिषद वास्तव में हिंदू धर्म को दुष्प्रचारित (बदनाम) करने का षड्यंत्र है। इसी कारण उन्होंने 9/11 को जानबूझकर परिषद का समय चुना है, क्योंकि यह दिन अमेरिका का दुखद और आतंकवाद का विरोध करनेवाला दिन है। इस कालावधि में हिंदू विरोधी परिषद आयोजित करने का उद्देश्य आतंकवाद और हिंदू धर्म का संबंध जोडऩा तथा पूर्ण विश्व में हिंदू द्वेष फैलाना है। यह इनका पुराना धंधा है। हिंदुओं द्वारा संगठित विरोध करने पर ही उनका षड्यंत्र असफल होगा और उनका अनेक वर्षों पुराना धंधा समाप्त होगा।
प्रसिद्ध लेखिका और मानुषी मासिक की संस्थापक संपादक प्रो. मधु पूर्णिमा किश्वर ने कहा कि भारत की उच्चतम पुरातन ज्ञानपरंपरा की तुलना में हम पिछड़े हैं, ऐसी पाश्चात्य धारणा में पहले से ही हीनभावना थी। इसलिए हिंदुओं के विरोध में घृणा फैलाई जाती है। एक को ‘गजवा-ए-हिंद’, तो दूसरे को ‘रोम राज्य’ लाना है, यह अब छिपा हुआ नहीं है। हिंदू धर्म को दुष्प्रचारित (बदनाम) करने के प्रयासों का विरोध करना होगा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) के विचारक डॉ. यदु सिंह ने कहा कि हिंदू, हिंदू धर्म और हिंदुत्व अलग न होकर एक ही है, परंतु उन्हें विभाजित कर हिंदू विरोधी हिंदुत्व के नाम पर पूरे हिंदू धर्म को निशाना बनाया जा रहा है। अमेरिका में परिषद् के आयोजक हिंदू धर्म द्वेषी हैं। अमेरिका और कनाडा के विद्यापीठ इसके लिए धन दे रहे हैं। हिंदुओं को अब दृढ़तापूर्वक संगठित होकर उनका वैचारिक स्तर पर विरोध करना चाहिए।
‘ट्वीटर’ पर भी विरोध
इस ‘विशेष संवाद’ के पूर्व ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ इस हिन्दू विरोधी कार्यक्रम का ‘ट्वीटर ट्रेंड’ द्वारा भी भारी विरोध किया गया। इस समय अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, नेदरलैंड, कैनडा, ऑस्ट्रेलिया, कतर, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल इत्यादि देशों के हिन्दु उत्सफूर्तता से सहभागी हुए थे।


- राकेश सैन
32 खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
ग्राम एवं डाकखाना लिदड़ां
जालंधर।
संपर्क - 77106-55605

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