लुधियाना पुलिस ने बब्बर खालसा के सात आतंकियों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि ये सोशल मीडिया पर खालिस्तानी आतंकवाद के पक्ष में प्रचार कर रहे थे और विरोध करने वालों को ठिकाने लगाने की योजना को क्रियान्वित रूप देने वाले थे। पुलिस ने आरोपियों से हथियार भी बरामद किए हैं। चिंता की बात तो यह है कि गिरफ्तार किए गए अधिकतर आरोपी बिलकुल युवा हैं। आवश्यक ही इनकी कच्ची सोच को मानवता के दुश्मनों ने अपने पक्ष में करने का सफल प्रयास किया है और तभी तो यह युवा इस उम्र में पढ़ाई, करियर, अपने माता-पिता की इज्जत आदि सबकुछ त्याग कर देशद्रोहियों के चक्कर में फंसे। इन गिरफ्तारियों से एक बार फिर चिंता की लहर दौड़ गई है कि आखिर कौन भड़का रहा है हमारे युवाओं को।
विदेश में बैठी कुछ ताकतें पुन: पंजाब की शांति भंग करने की लगातार कोशिशें कर रही हैं। वे फिर से अपना नेटवर्क सक्रिय करने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड सहित कई अन्य देशों में पक्का ठिकाना बनाकर बैठे विभिन्न आतंकी संगठनों के प्रमुख सोशल मीडिया के माध्यम से पंजाब में माहौल बिगाडऩे के लिए राज्य में अपना जाल फिर से बुन रहे हैं। आतंकी संगठनों के सरगना विदेश से कïट्टरपंथियों को धन उपलब्ध करवा रहे हैं जिससे वे हथियार जुटा रहे हैं तथा साथ ही युवाओं को पथभ्रष्ट भी कर रहे हैं। पंजाब के आतंकी सोशल मीडिया पर सिखों पर कथित ज्यादतियों के सच्चे-झूठे वीडियो अपलोड करके व आतंकियों की कपोलकल्पित गाथाएं बताकर युवाओं को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। खून खौला देने वाली सामग्री दिखाकर व प्रचारित करके राज्य में आतंक की नर्सरी तैयार करने की कोशिश की जा रही है। अमूमन देखने में आया है कि ऐसी कोशिश आंतकी संगठनों द्वारा त्योहारी सीजन के दौरान ज्यादा की जाती है। त्योहारों के दौरान वे माहौल खराब करने के लिए अधिक सक्रिय हो जाते हैं। राज्य में दूसरे आतंक का रूप ले रहे गैंगस्टर भी इन्हीं के द्वारा ही पोषित किए जा रहे हैं। गत दिवस हथियारों के साथ पकड़े गए बब्बर खालसा के सात आतंकी भी विदेश में बैठे अपने आकाओं के हुक्म पर पंजाब में खून खराबा करने की फिराक में थे। गनीमत है कि समय रहते सुरक्षा एजेंसियों को इनकी भनक लग गई और वे पकड़े गए। पुलिस पूछताछ में सभी ने माना है कि उनके निशाने पर वे लोग थे जो आए दिन आतंकी संगठनों व सिख धर्म के खिलाफ बोलते रहते हैं। हैरानी तो इस बात की है कि इन सातों का मुखिया एक पाठी था। यही पाठी खून खराबे की सारी प्लानिंग बनाता था और इसे धरातल पर लागू करवाता था। ये सातों आतंकी एक-दूसरे से सीधे संपर्क में रहने के बजाय सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी योजना सांझी करते थे।
देखा जाए तो आजकल सोशल मीडिया पर आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाला, उसके साथियों के फोटो खूब शेयर किए जा रहे हैं। हर साल नवंबर आते-आते यह क्रम और तेज हो जाता है। सोशल मीडिया की इन पोस्टों पर भारत, हमारी संवैधानिक प्रणाली, सेना, पुलिस प्रणाली पर तरह-तरह की टिप्पणीयां होती हैं। समय-समय पर घटने वाली घटना-दुर्घटनाओं के अलगाववादी विश्लेषण किए जाते हैं और युवाओं को यह बताने कर भ्रमित करने का प्रयास होता है कि भारत में उनके साथ अन्याय हो रहा है। कच्ची उम्र और अविकसित सोच पर इस दुष्प्रचार का बड़ी तेजी से असर होता है और शायद यही कारण है कि लुधियाना में गिरफ्तार आरोपियों में अधिकतर किशोर व युवा हैं।
ऐसी स्थिति में माता-पिता, अभिभावकों व आसपड़ौस के लोगों की जिम्मेवारी बनती है कि वह अपने बच्चों पर नजर रखें क्योंकि आतंकवाद के मुर्दाखोर गिद्ध उनके चारों ओर मंडरा रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि अपने बच्चों की गतिविधियों, उसकी बातों, अचार-व्यवहार पर नजर रखी जाए और उन्हें पंथ, देश, समाज की अच्छी शिक्षा व जानकारी दी जाए। पुलिस प्रशासन का भी दायित्व बनता है कि जब प्रचार के साधन इतने तेज हो गए हैं तो वे अपने परंपरागत ढंग से इस तरह के दुष्प्रचार से नहीं निपट सकती। इसके लिए सोशल मीडिया सैल का गठन कर आपत्तिजनक पोस्टों पर न केवल नजर रखी जाए बल्कि इनको लोड करने वालों पर कार्रवाई भी की जाए। दुष्प्रछार चिंगारी है और युवा मन बारूद और हमें ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया इन दोनों का खतरनाक संगमस्थल न बनने पाए।
- राकेश सैन
मो.097797-14324
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