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Punjab Culture Minister Navjot Singh Sidhu with Santas in Amritsra. |
लो जी, अब 'आंख फोड़वा' और 'चमड़ी उधेड़वा' परिषद् में क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हो गए हैं। क्रिसमस के उपलक्ष में अमृतसर में करवाए गए इसाई समाज के राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए पंजाब के संस्कृति एवं पर्यटन विकास और स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने चेतावनी दी है कि जो कोई भी क्रिसमस में विघ्न डालने का प्रयास करेगा उसकी 'आंखें फोड़ दी जाएंगी'। उनके ब्यान पर समारोह स्थल पर खूब तालियां बजीं, आंखें फोडऩे की धमकी देने वाले संस्कृति मंत्री थे तो ताली पीटने वाले उस प्रभु ईसा मसीह के अनुयायी जो अपनी शिक्षाओं में बताते रहे हैं कि अगर कोई एक गाल पर चांटा मारे तो आप दूसरा आगे कर दो अर्थात प्रेम से दूसरों का दिल जीतो। समारोह के स्तर का स्वत: अनुमान लगाया जा सकता है, जैसा गुरु वैसा चेला।
वैसे जिस देशवासियों ने लोकतंत्र के अपने माननीय जनप्रतिनिधियों के श्रीमुख से प्रधानमंत्री की 'चमड़ी उधेडऩे' और उन्हें 'नीच' तक कहने के मन को व्याकुल करने वाले ब्यान सुने हो उनके लिए आंख फोडऩे वाली भाषा भी कोई अधिक विस्यमकारी नहीं है। वैसे भी पंजाब सरकार में नंबर दो कहे जाने वाले कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की सरकार के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस में सीधी स्पर्धा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से ही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अक्सर विधानसभा चुनावों के दौरान अपने भाषणों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अकाली दल वालों से 'खुंडे नाल' (पंजाबी भाषा में लाठियों के साथ) निपटने की बात करते रहे हैं। पटियाला राजघराने से संबंधित होने के चलते बात के धनी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसी महीने राज्य में संपन्न हुए निकाय चुनावों में साबित भी कर दिया है कि उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में लोगों के साथ किए हर घर को नौकरी देने, युवाओं को लैपटॉप व स्मार्ट फोन देने, किसानों के कर्जे माफ करने, नशा समाप्त करने आदि जैसे असंख्य वायदों पर गौर किया हो या न हो परंतु विरोधियों पर लाठियां भांजने का पराक्रम तो दिखा ही दिया। निकाय चुनाव के नामांकन के समय मोगा जिले बाघापुराना, फिरोजपुर जिले के मल्लांवाला आदि बहुत से स्थानों पर विरोधियों को नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) ही जारी नहीं होने दिए। सरकारी मशीनरी का खुल कर दुरुपयोग होने के आरोप लगे। मतदान वाले दिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक नगर पटियाला में खूब उत्पात मचा। इन सभी का परिणाम निकला कि राज्य में कांग्रेस ने बड़ी शान के साथ निकाय चुनावों में एकतरफा जीत हासिल कर ली। भाजपा ने इसकी शिकायत राज्य चुनाव आयोग से की तो अकाली दल बादल ने कई जगह धरने दिए परंतु परिणाम सिवाय मन मसोसने के कुछ नहीं निकला। अकालियों ने शायद मान लिया है कि कुर्सी के जोर पर विरोधियों को लतियाना सत्ताधीशों का नैसर्गिक अधिकार है क्योंकि पिछले दस सालों में अपनी सरकार के दौरान उन पर भी एसा ही कुछ करने के आरोप लगते रहे हैं।
फिलहाल वापिस लौटते हैं आंख फोडऩे की धमकी देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पर, जब राज्य में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कैप्टन अमरिंदर सिंह इतना पराक्रम कर रहे हैं तो सिद्धू उनसे पीछे कैसे रह सकते हैं। शायद यही कारण रहा होगा कि उन्होंने ठोक दी छाती आंख फोड़ की। वैसे कोई श्री सिद्धू के इस ब्यान का आशय नहीं समझ पाया कि वो किसकी आंखें फोडऩे जा रहे हैं। पंजाब में तो किसी ने भी क्रिसमस या किसी अन्य धर्म के कार्यक्रम को रोकने की चेष्टा नहीं की। राज्य में तो हर कहीं बड़े धूमधाम से शांति, प्रेम और अहिंसा के मसीहा प्रभु ईसा मसीह का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। हर वर्ग व धर्म के लोग इन समारोहों में शामिल हो रहे हैं। अगर सिद्धू का इशारा मध्य प्रदेश में लालच दे कर धर्मांतरण करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पादरियों की तरफ है तो संस्कृति मंत्री को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके खिलाफ उसी संविधान के तहत कार्रवाई की जा रही है जिसकी शपथ लेकर स्वयं सिद्धू मंत्री बने हैं। सिद्धू क्या कानून की आंखें फोडऩे की तैयारी में हैं या कानून के रखवालों की, या फिर शिकायतकर्ताओं की यह तो वे ही बता सकते हैं। श्री सिद्धू को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि धर्मांतरण न केवल कानून बल्कि मानवता के प्रति भी अपराध है। जिस तरह पाकिस्तान के पख्तूनख्वाह इलाके में सिखों का किया जा रहा जबरन धर्मांतरण गलत है उसी तरह कुछ इसाई मिशनरियों पर भी लालचवश धर्मांतरण का आरोप लगता है, वो भी उचित नहीं है। स्वयं सिद्धू पाकिस्तान में हो रहे निरीह व कमजोर सिखों के जबरन धर्म परिवर्तन की निंदा कर चुके हैं तो लालच में करवाया जा रहा धर्म परिवर्तन किस तरह ठीक हो सकता है। फिलहाल उक्त मामले की जांच जारी है और कानून अपना काम कर रहा है। इसके लिए किसी की आंखें फोडऩा या इस तरह की धमकी देना अनावश्यक विवाद पैदा करना है।
वैसे 'आंख फोड़वा परिषद्' बड़ी पक्षपाती है। सोशल मीडिया के युग में जब जहरीले शब्दों का प्रचलन बढ़ रहा है तो ऐसे में जब कोई गली मोहल्ले स्तर का नेता भी किसी अल्पसंख्यक समुदाय या उसकी आस्था को लेकर अभद्र टिप्पणी कर देता है तो आंख फोडऩे वाले सक्रिय हो जाते हैं परंतु दूसरी ओर जब पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बैनर्जी तुष्टिकरण की नीति के चलते दुर्गा पूजा पर ही रोक लगा देती है तो यही परिषद् आंखें मूंदने में अपनी भलाई समझती है। फिलहाल मौका अपने जख्म दिखाने का नहीं, बल्कि बात नेताओं की दिनों दिन गिर रही वाकशैली व भाषाज्ञान की हो रही है जो अत्यंत चिंताजनक है।
आंख फोडऩा, चमड़ी उधेड़ लेना, नीच जैसे शब्दों के लिए सार्वजनिक जीवन तो क्या निजी जीवन में भी कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आज जब देश में स्वच्छता की बात हो रही है तो हमें भाषा की शुचिता पर भी ध्यान देना होगा। संस्कृति मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू जो क्रिकेट के विश्व स्तरीय कमेंटेटर भी हैं, यदि राजनीति में उन्हें लंबी और विजयी पारी खेलनी है तो जीवन में 'पॉलिटीकल कमेंट्री' भी सीखनी होगी। संस्कृति मंत्री को भविष्य में ध्यान रखना होगा कि उनके कारण राजनीतिक संस्कृति और अधिक विकृत न हो।
- राकेश सैन
32-खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,जालंधर।
मो. 097797-14324
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