भारतवर्ष के कोने- कोने आये हुए लोग, विभिन्न स्वभाव के लोग, विभिन्न पृष्ठभूमि के, विभिन्न भाषा-भाषी, प्रान्तों के विभिन्न जाति-उपजातियों के अपरिचित लोग पहले दिन आते हैं और जिस दिन जाने का समय होता है, उस दिन आँखों में आंसू रहते हैं। भाषा समझ में नहीं आई लेकिन आत्मियता ऐसी हो गई की लगता है बिछुड़ें ही नहीं। अनुभूति धारण करते है कि सारा भारतवर्ष मेरा अपना है। सारे भारतीय मेरे अपने हैं। जो प्रतिज्ञा मैं विद्यालय की प्रार्थना में करता था भारत मेरा देश है, सारे भारतीय मेरे बांधव है, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का गौरव मेरे मन में है। उन सारी बातों की प्रत्यक्ष बातों की अनुभूति वो यहाँ प्राप्त करते हैं। इसके बाद उनको और प्रशिक्षण की आवश्यकता इसीलिए नहीं रहती। अनुभूति मन को प्लावित करती है मन ऐसा बनाकर आँख और कान खोलकर समाज में समाज की सेवा, परोपकार का काम करते हैं तो अपने आप आगे का प्रशिक्षण हो जाता है ये संघ का कार्य है। हम सारी सज्जन शक्तियों को जुटाना चाहते है। हमें विचारों से मतों से कोई परहेज नहीं है। गन्तव्य एक हो परम वैभव संपन्न भारत, विश्वगुरु भारत उसकी दुनिया को आवश्यकता है। दूसरा कोई आज की दुनिया की समस्याओं को हल करने का उत्तर नहीं दे सकेगा। भारत वर्ष को देना है बोलकर नहीं देना है, अपना जीवन वैसा प्रस्थापित करके देना है। उस जीवन को स्थापित करने के लिए लायक भारतीयों का भारत। उसके स्वत्व के आधार पर पक्का खड़ा, अपने स्वत्व की पक्की पहचान जिसके मन में है। उसके बारे में जो स्पष्ट है, उसके बारे में जो निर्भय है, संकोच नहीं है, ऐसा समाज इस देश में हम खड़ा करना चाहते हैं। ऐसा समाज ही विश्व की और भारत की और हमारे आपके दैनिक जीवन की सब समस्याओं का पूर्ण उत्तर है। उसको हम सबको खड़ा करना है, संघ का काम केवल संघ का काम नहीं है, ये तो हम सबके लिए है। इसको देखने के लिए अनेक विचारों के महापुरुष आ चुके है, आते रहते है। मैं उसका विवरण नहीं दूंगा आपको पता है। इस प्रसंग के निमित्त ऐसा बहुत आया भी है। आते है देखते है हम उनसे बाते ग्रहण करते हैं , उनकी सूचनाएं उसका विचार करते हैं, हमने जो पथ तय किया है, हमने जो कार्यक्रम तय किया है, हमने जो गंतव्य किया है उसमें उसकी जो मदद होती है उसका विचार करते हैं, उनको स्वीकार करते हैं।
- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324
No comments:
Post a Comment