विचार कुछ भी हो, देश के सामने विभिन्न जो विषय हैं, समस्याएं हैं उनके हल के बारे में मत कुछ भी हो, विचारधारा कोई भी हो, जाति-पाति, प्रांत, पंथ, पक्ष, भाषा कोई भी हो लेकिन सम्पूर्ण समाज को, सम्पूर्ण राष्ट्र को अपना मानते हुए व्यापक दृष्टि से उसके हित के प्रकाश में मेरा व्यक्तिगत, पारिवारिक सामाजिक और आजीविका में आचरण कैसा हो इसका विचार करके अपने आचरण का उदाहरण आसपास प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति वो वातावरण बनाता है। वह महापुरुष नहीं होता, वह सब में एक होता है। महापुरुषों के आदर्शों की समाज पूजा करता है। उत्सव करता है, जयंती, पुण्यतिथि मनाता है। लेकिन अनुकरण तो उसका करता है जो उसके आसपास पड़ोस में रहने वाला उसके जैसा लेकिन लेकिन थोड़ा सा प्रमुख। ऐसे उदाहरण अपने जीवन से स्थापित करने वाले कार्यकर्ता चाहिए। आदर्श हमारे पास भरपूर हैं, कमी नहीं है। सुविचार की कमी नहीं है, श्रेष्ठतम तत्वज्ञान हमारे पास है। परन्तु व्यवहार के बारे में हम निकृष्ठ थे, अब हम कैसे कह सकते हैं कि थोड़ा सा सुधार हुआ है। लेकिन अभी तक जितनी मात्रा में व्यवहार चाहिए वैसा नहीं है। और वो तब बनता है जब सब प्रकार की परिस्थिति में उस व्यवहार में अड़कर वैसा व्यवहार करने वाले समाज से ही समाज के जैसे ही परन्तु अपने चारित्र्य से शील से विशिष्टिता रखने वाले लोग खड़े होते हैं। ऐसे लोग देशभर में खड़े करने का प्रयास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है। क्योंकि सारे समाज को एक विशिष्ट दृष्टि से चलने की आवश्यकता है।
- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324
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