Sunday, 24 June 2018

सिद्धू की आईटम गर्ल मार्का राजनीति

क्रिकेट और टीवी दुनिया के शहनशाह रहे पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति भी इसी तर्ज पर करते दिख रहे हैं परंतु बिना योजना व ठोस आधार के उनकी सारी हरकतें उनकी छवि फिल्म की उस आईटम गर्ल की बना रही है जिसका काम कहानी को मोड़ देना नहीं बल्कि कुछ समय के लिए दर्शकों की तालियां बटोरना होता है। कुछ दिन पहले नवजोत सिंह सिद्धू आए, बिना बताए ही विधायक परगट सिंह को साथ लेकर निकल पड़े अवैध कब्जों के खिलाफ छापामारी पर, किसी को धमकी तो किसी को चेतावनी। ठीक उसी तरह जैसे आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल सत्ता में आने से पहले खुद सीढ़ी लेकर लोगों के बिजली के कनेक्शन जोड़ा करते थे। खूब तालियां मिलती, मीडिया तरह-तरह के मुहावरे बना कर उनकी इस कार्रवाई की वाहवाही करता परंतु आज उनका व उनके नेतृत्व में चल रही सरकार का क्या हाल है सभी जानते हैं। जितना हो हल्ला मचाया उतना ही ढीलाढाला काम करके दिखा रहे हैं  दिल्ली के नायक। सिद्धू भी लगता है कि कहीं न कहीं उनसे प्रभावित हैं और उनके जैसी ही राजनीति करते हैं लेकिन अगर उन्हें राजनीति की लंबी पारी खेलनी है तो संयम व नियमों के अनुसार चलना सीखना होगा। उछलकूद तालियां तो बजवा सकती है परंतु परिणाम नहीं देती।

जालंधर में कथित छापामारी के दौरान सिद्धू ने स्थानीय निकाय विभाग के कई अधिकारियों को साथ लेकर कई अवैध कालोनियों व निर्माणों पर धावा बोला। कईयों को तोडऩे के हुक्म दिए तो कईयों को चेतावनी और कईयों को सुधर जाने की नसीहतें। उन्होंने इन अवैध निर्माणों के लिए अपने ही तरह से फैसला सुनाते हुए कई अधिकारियों को निलंबित भी किया और कईयों को चार्जशीट करने की चेतावनी दे दी। ऐसा करते हुए स्थानीय निकाय मंत्री सिद्धू भूल गए कि अवैध निर्माण, कालोनियों व कब्जों की समस्या का हल इतना आसान नहीं है कि छापामार कार्रवाई से समस्या हल हो जाए। इस समस्या से केवल पंजाब ही नहीं बल्कि पूरा देश ग्रसित है। खुद पंजाब सरकार अवैध कालोनियों को नियमित करने की नीति पर काम कर रही है। सिद्धू को पता होना चाहिए कि इस तरह की कालोनियों की संख्या सैंकड़ों में नहीं बल्कि हजारों में हैं जिनको एकाएक ध्वस्त करना संभव नहीं है। ऐसा नहीं है कि स्थानीय कांग्रेसी नेता व अधिकारी इस समस्या से परिचित नहीं है और सिद्धू के यह आरोप भी गलत नहीं है कि इन अवैध निर्माणों के पीछे अधिकारियों की मिलीभुगत व नियमों की अनदेखी ही होती है इसके बावजूद सिद्धू की छापामारी जैसी कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता। यही कारण है कि सिद्धू की इस कार्रवाई का केवल संबंधित लोगों ने ही नहीं बल्कि खुद कांग्रेसी विधायकों ने भी विरोध किया और उनके खिलाफ प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों का यह कहना भी उचित है कि सिद्धू अगर प्रदेश में अवैध कब्जों के खिलाफ कुछ करना चाहते हैं तो पहले उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र अमृतसर में सबकुछ करके दिखाना चाहिए और अगर वे अमृतसर को इसकी नाजीर बना कर पेश करते हैं तो स्वभाविक है कि उनकी कार्रवाईयों का हर कहीं स्वागत होगा। लोकतंत्र में अधिकानायकवाद या तानाशाही तरीके से काम नहीं चलता, इसके लिए नियमों का पालन करना जरूरी है और लोकलाज का भी ध्यान रखना पड़ता है। सिद्धू इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएं उनके लिए व कांग्रेस के लिए उतना ही बेहतर होगा। कोई बड़ा कदम उठाने से पहले सिद्धू को स्थानीय नेतृत्व व अधिकारियों को अवश्य विश्वास में लेना चाहिए। अच्छा होगा कि सरकार अवैध कब्जों व अवैध कालोनियों को लेकर कोई समग्र नीति बनाए। जो साधारण लोग इन कालोनियों में रह रहे हैं उनके हितों की भी रक्षा की जाए। ऐसी नीति तैयार हो जिसमें नियमों का उल्लंघन करने वालों को सजा मिले और आम आदमी को परेशानी भी न हो और सारा काम नियमों के अनुसार हो न कि यूं ही सुर्खियां बटोरने के लिए।

- राकेश सैन
32, खण्डाला फार्मिंग कालोनी,
वीपीओ रंधावा मसंदा,
जालंधर।
मो. 097797-14324

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