वामपन्थी विचारकों द्वारा हिन्दुत्व को लेकर भारत के प्रति विचार किसी से छिपे नहीं, परन्तु इसमें दो राय नहीं कि ऐसा करते समय वे तथ्यों से अधिक अपने पूर्वाग्रहों को प्राथमिकता देना नहीं भूलते। वैसे तो इस तरह की कोशिश पहले भी होती रही हैं परन्तु पिछले सात सालों के दौरान इस तरह के प्रयासों में तेजी देखने को मिल रही है। तमाम तरह के दुष्प्रचारों के बीच देश की स्थिति बताती है कि यहां पिछले पांच सालों में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में सुधार हुआ है। केवल दंगे ही कम नहीं हुए बल्कि दंगाइयों, फसादियों को सजा दिए जाने की दर में भी सुधार हुआ है। देश के कई उन हिस्सों में भी साम्प्रदायिक टकराव लगभग समाप्त हो गया जो कभी संवेदनशील माने जाते रहे हैं। परन्तु इसके बावजूद भारत के खिलाफ दुष्प्रचार जारी है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।
Monday, 21 February 2022
साम्प्रदायिकता के लाञ्छन के बीच देश में बढ़ा साम्प्रदायिक सौहार्द
Friday, 18 February 2022
खालिस्तानियों से संबंधों पर पहले भी घिर चुके हैं केजरीवाल
अक्तूबर 2018 को रिपब्लिक टीवी ने अपने चैनल पर एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया है जिसमें आतंकी संगठन दल खालसा के लीडर ने दावा किया है कि उनके ग्रुप ने आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब में कैम्पेनिंग की थी और साथ ही उनको फंडिंग भी की। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी 6 जून से दो दिन पहले 4 जून, 2018 को पंजाब पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी थी। पुलिस ने नवांशहर में तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर उनसे हथियार भी बरामद किए थे। इन आतंकियों का प्रतिबंधित आंतकवादी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फैडरेशन से सीधा संबंध था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन को पाकिस्तान से समर्थन हासिल था। गिरफ्तार आतंकी जगरूप, गुरमेल और गुरदयाल सिंह से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि देश की संप्रभुता और शांति को नुकसान पहुंचाने की उनकी बड़ी साजिश थी, लेकिन सबसे हैरत करने वाली बात इस नेटवर्क का मुखिया गुरदयाल सिंह का आम आदमी पार्टी से कनेक्शन होना था।
गिरफ्तार तीनों आतंकी पाकिस्तान के कनेक्शन में था और तीनों को आईएसआई ने प्रशिक्षण देकर पंजाब में आतंकवादी हमले करने तथा ‘पंथ विरोधी व्यक्तियों’ को निशाना बनाने का कार्य सौंपा गया था। इतना ही नहीं पाकिस्तान में मौजूद भगौड़े आतंकी लखबीर रोडे ने पंजाब से लगे प्रांतों में भी तबाही का संदेश दिया था। भारत में गुरदयाल सिंह इस आंतकवादी गिरोह का मुखिया था और जर्मनी के बलबीर सिंह संधू ने लखबीर सिंह रोडे से उसकी मुलाकात करवाई थी। रोडे इस समय लाहौर के छावनी क्षेत्र में आईएसआई द्वारा मुहैया करवाये गये सुरक्षित घर में रह रहा है। गुरदयाल 6-7 वर्षों से धार्मिक जत्थों के साथ पाकिस्तान की यात्रा करते समय कई बार रोडे को मिला था। गुरदयाल ने नवंबर, 2016 के अपने अंतिम पाकिस्तानी दौरे के दौरान जगरूप सिंह के लिए वीजे का प्रबंध किया और वह एक जत्थे के साथ लाहौर गया। 12 से 21 नवंबर, 2016 तक लाहौर में ठहरने के दौरान बलबीर सिंह द्वारा जगरूप ने रोडे एवं हरमीत से मुलाकात की थी। आतंकी गुरदयाल सिंह ने चुनावों में गढ़शंकर के गांव रोडमाजरा में ‘आप’ नेताओं के साथ प्रचार किया था और स्टेज साझा किया था। जब गुरदयाल सिंह को पकड़ा गया तो ‘आप’ के स्थानीय नेता उसकी पैरवी करने उसके समर्थन में पहुंचे थे।
26 मई 2017 को पंजाब में आतंकवाद का खात्मा करने वाले पूर्व डीजीपी ‘सुपरकॉप’ केपीएस गिल का निधन हो गया था। उनके निधन के बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी, लेकिन जिस एक पार्टी ने गिल को याद करने तक की जरूरत नहीं समझी वो थी आम आदमी पार्टी। केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता ने न तो ट्विटर न ही किसी और जरिए से केपीएस गिल को श्रद्धांजलि दी। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इसे लेकर सवाल भी उठाया है और इसका कारण पूछा था। उन्होंने लिखा था कि- बीजेपी और कांग्रेस ने केपीएस गिल को श्रद्धांजलि देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अकाली दल चुप रही यह बात समझ में आती है, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अपने मुंह बंद क्यों कर रखे हैं ?
2017 के पंजाब चुनाव से ठीक पहले केपीएस गिल ने ही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की पोल खोली थी। उन्होंने कहा था कि अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो राज्य में आतंकवाद की वापसी से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने राज्य में अपने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आम आदमी पार्टी और खालिस्तानी आतंकी संगठनों के बीच बेहद करीबी रिश्ते हैं। पंजाब में दोबारा मजबूत होने के लिए ये संगठन मौके की तलाश में हैं और आम आदमी पार्टी इसके लिए उनकी मददगार बनने को राजी हुई है।
एक और वाकया इसी से जुड़ा हुआ है। पंजाब चुनाव प्रचार के वक्त भी केजरीवाल हथियार डाल चुके एक आतंकवादी के घर पर रुके थे, जिसके बाद इसे लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। चुनाव प्रचार से पहले फंड जुटाने के लिए आम आदमी पार्टी के कई नेता यूरोपीय देशों के दौरे पर गए थे। इनमें से कुछ की तस्वीरें सामने भी आई थीं। माना जा रहा है कि केजरीवाल की चुप्पी इसी कारण से थी। विगत विधानसभा चुनावों के दौरान 30 जनवरी, 2016 को अरविंद केजरीवाल खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के पूर्व आतंकी गुरविंदर सिंह की कोठी में रात गुजारकर आरोपों में घिर गए थे। पुलिस रिकार्ड के अनुसार खालिस्तान कमांडो फोर्स का सक्रिय आतंकी रहा है। उसने हिंदू-सिख दंगे भडक़ाने के लिए मंदिरों में गायों की पूंछें काटकर फेंक दी थी। इस घटना के बाद मोगा सिटी पुलिस ने उसके खिलाफ 15 मई 2008 को धार्मिक भावनाओं को भडक़ाने का मामला दर्ज किया। गुरविंदर ने बाघापुराना में एक पुजारी की हत्या करने के साथ-साथ एक व्यक्ति की हत्या का प्रयास किया था। 9 जुलाई 1997 को थाना बाघापुराना पुलिस ने उसके खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद उसने 20 दिसंबर 2011 को अमृतसर में एक व्यक्ति से मारपीट की, जिस पर अमृतसर सिटी पुलिस ने उसे नामजद किया। इसके अलावा भी वह विवादों में रहा। सुबूतों और गवाहों के अभाव में बाद में वह सभी मामलों में बरी हो गया और इंग्लैंड चला गया और वहीं से पंजाब में अपने साथियों के साथ विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देता आ रहा है।
खालिस्तान के दुर्दांत आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाले के साथ पोस्टर को लेकर भी विवादों में रहे हैं केजरीवाल। भिंडरांवाले का 12 फरवरी 2016 को जन्मदिन मनाया जाना था जिसको लेकर केजरीवाल की कथित अपील जारी की गई थी। बाद में पार्टी ने इससे पल्ला झाड़ लिया था।
Rakesh Sain
Jallandhar.
Mob 77106-55605
Sunday, 13 February 2022
1984 ਦੇ ਸਿੱਖ ਵਿਰੋਧੀ ਦੰਗੇ - ਹਿੰਦੂ-ਸਿੱਖਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਨਹੁੰ-ਮਾਂਸ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਨਿਭਾਇਆ ਗਿਆ
कृषि कानूनों की वापसी, सीता वनवास सा निर्णय
धर्म प्रचार के अधिकार की मनमाफिक व्याख्या
देश के संवेदनशील सीमान्त राज्य पंजाब व इसके आसपास क्षेत्रों में उच्च स्तर पर हो रहे धर्मपरिवर्तन पर चिन्ता जताते हुए सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने उत्तर भारत में धर्मान्तरण पर रोक लगाने की मांग की है। जत्थेदार के अनुसार, ईसाई मिशनरी के लोग सीमावर्ती क्षेत्रों में लालच देकर हिन्दू-सिखों का धर्म बदल रहे हैं जिस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। वैसे तो पंजाब में 1834 में ही जॉन लॉरी व विलियम रीड नामक ईसाई मिशनरियों के प्रवेश के बाद से ही धर्मांतरण का दुष्चक्र जारी है परन्तु इन दिनों इसमें में आई तेजी ने यकायक धर्मगुरुओं के साथ-साथ समाज शास्त्रियों व सामरिक विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इन आरोपों के बदले चर्च का कोई आधिकारिक ब्यान तो नहीं आया है परन्तु ऐसे अवसरों पर मिशनरियों का एक ही रटा-रटाया जवाब होता है कि देश का संविधान उन्हें धर्म के प्रचार की अनुमति देता है और वे उसी के अनुसार देश में प्रभु ईसा के सन्देशों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। असल में धर्म प्रचार के अधिकार की आड़ में अभी तक ऐसा झूठ पेश किया जाता रहा है जिसकी हमारा संविधान व न्याय व्यवस्था कतई अनुमति नहीं देते। संविधान सभा में हुई चर्चाओं व सर्वोच्च न्यायालय के समय-समय पर आए निर्णयों में यह साफ निर्देश है कि धर्म के प्रचार का अधिकार किसी को कहीं भी धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता।
बेअदबी के आरोपियों की हत्याएं, आक्रोश या पर्दादारी ?
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब इस देश के प्राण हैं और इनकी शिक्षाएं तो पंजाब निवासियों के गुणसूत्रों (डी.एन.ए.) में रची बसी हैं। आस्थावान लोग इन्हें जिन्दा गुरु के रूप में स्वीकार करते हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि इतना सम्मान होने के बावजूद इनके अपमान की घटनाएं भी पंजाब में ही अधिक होती आई हैं। अक्तूबर, 2015 में तो इस तरह की घटनाओं की मानो बाढ़ सी ही आ गई थी और इसके लगभग छह साल बाद सिखों के सर्वोच्च धर्मस्थल श्री हरिमन्दिर साहिब व कपूरथला में हुई इस तरह की घटनाओं ने सभी के मनों को झिञ्झोड़ कर रख दिया है। ये घटनाएं किसी मनोरोगियों की करतूत हैं या किसी का षड्यन्त्र इस पर आभी राज कायम है परन्तु इन घटनाओं के बाद जिस तरह आरोपियों की तालिबानी शैली में हत्या कर दी जाती है उससे हर किसी के मन में एक सवाल पैदा होना शुरू हो चुका है कि आरोपियों की हत्या लोगों का आक्रोश है या किसी की पर्दादारी ? आखिर कौन है जो यह नहीं चाहता कि सच्चाई सामने आए ? आरोपियों की तत्काल हत्या कर जाञ्च के सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र माने जाने वाले व्यक्ति को क्यों खत्म कर दिया जाता है ? इन घटनाओं के बाद हर तरफ से निष्पक्ष जाञ्च की मांग होती है परन्तु जब आरोपी को ही खत्म कर दिया जाए तो इन घटनाओं को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी कैसे हो ? क्या भीड़ तन्त्र का न्याय हमारे लोकतन्त्र के मुख को मलिन नहीं करता ?
पंजाब में आतंकवाद और वाजपेयी जी का साहस
पूर्व प्रधानमन्त्री एवं उच्च कोटि के कविहृदय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी जी का भाषण कौशल, वाकपटुता, कुशल राजनेता व विश्व स्तर के कूटनीतिज्ञ होने के गुण से तो सभी परिचित हैं परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि उनमें अदम्य साहस व शूरवीरता के गुण भी विद्यमान थे। पंजाब में जब आतंकवाद का काला दौर चल रहा था तो वाजपेयी जी ने आतंकवादियों द्वारा राज्य की उद्यौगिक नगरी बटाला की की गई नाकाबन्दी तुड़वा कर ऐसे शौर्य का प्रदर्शन किया जिसके आज भी पंजाब के लोग कायल हैं। उन्होंने केवल नाकाबन्दी ही नहीं तुड़वाई बल्कि खुंखार आतंकवादी सन्त जरनैल सिंह भिण्डरांवाला के गढ़ में जाकर सिंहनाद किया कि भारत के लोग इन भाड़े की बन्दूकों से डरने वाले नहीं हैं।
विरोध के नाम पर ‘पागलपन’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष श्री शरद पवार ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पटाक्षेप किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा सरकारों में वह और स. मनमोहन सिंह नहीं चाहते थे कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विद्वेष पाला जाए। उस समय कुछ लोगों द्वारा मोदी के खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाईयां हुईं। जिस दल के लोग सत्ता में रहते हुए मोदी के विरुद्ध राजनीतिक बदलाखोरी की कार्रवाईयां करते रहे वे आज विपक्ष में आकर पागलपन की सीमा तक उनका विरोध करते दिख रहे हैं। पंजाब में उनकी सुरक्षा को लेकर हुई चूक की घटना ने साबित कर दिया है कि इन लोगों को सत्ता के लिए मोदी या किसी की भी जान को संकट में डालना पड़े तो उन्हें गुरेज नहीं।
पंजाब : केजरीवाल ने अपने पैर पीछे क्यों खींचे ?
सांसद श्री भगवंत मान को पंजाब में आम आदमी पार्टी का मुख्यमन्त्री का चेहरा घोषित किए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रश्न पूछा जा रहा है कि पार्टी के सर्वेसर्वा दिल्ली के मुख्यमन्त्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने इस राज्य में अपने पैर पीछे क्यों खींच लिए ? पिछले तीन-चार महीनों से पंजाब की दिवारें इस नारे के साथ पाट दी गईं कि ‘इक मौका-केजरीवाल नूं’ तो यकायक नया नारा क्यों दे दिया कि ‘इक मौका-भगवंत मान नूं ?’
कांग्रेस और खालिस्तान में गर्भनाल का रिश्ता
माँ और सन्तान के बीच गर्भनाल का रिश्ता ही ऐसा होता है, कि प्रसव के बाद शरीर अलग होने के बावजूद भी आत्मीयता बनी रहती है। सन्तान को पीड़ा हो त...
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अर्थात सिर कटाने से भी वृक्ष बचता है तो यह भी सस्ता सौदा है। इस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवन तक बलिदान करने की प्रेरणा देता है बिश्न...
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आओ आपको लिए चलते हैं द्वापर युग के चक्रवर्ती सम्राट भरत के हस्तिनापुर राजदरबार, जहां दुनिया में पहली बार प्रजातंत्र जन्म ले रहा है। जी ह...
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पटियाला राजघराने की राजमाता मोहिंद्र कौर केवल इस अलंकार को धारण करने वाली ही नहीं थी बल्कि उन्होंने अपनी पदवी के अनुरूप हर अवसर पर ...